सार
Gayatri Jayanti 2024: इस बार गायत्री जयंती का पर्व 16 जून, रविवार को मनाया जाएगा। मान्यताओं के अनसुार, इसी तिथि पर वेदमाता गायत्री प्रकट हुई थीं, इसलिए इस तिथि पर इनकी पूजा विशेष रूप से की जाती है।
Gayatri Jayanti 2024 Details: धर्म ग्रंथों के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को वेदमाता गायत्री प्रकट हुई थीं, इसलिए हर साल इस तिथि पर इनकी विशेष पूजा की जाती है। इस बार ये पर्व 16 जून, रविवार को मनाया जाएगा। इस बार गायत्री जयंती पर कई शुभ योग बन रहे हैं, जिसके चलते इस पर्व का महत्व और भी बढ़ गया है। आगे जानिए गायत्री देवी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त व अन्य खास बातें…
गायत्री जयंती 2024 शुभ योग-मुहूर्त (Gayatri Jayanti 2024 Shubh Yog-Muhurat)
पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 16 जून, रविवार की तड़के 02.32 से 18 जून, मंगलवार की सुबह 04:43 तक रहेगी। यानी ज्येष्ठ शुक्ल दशमी तिथि 16 जून को पूरे दिन रहेगी। इसलिए गायत्री जयंती का पर्व इसी दिन मनाया जाएगा। इस दिन अमृतसिद्धि, सर्वार्थसिद्धि, मानस और पद्म नाम के 4 शुभ योग बन रहे हैं, जिसके चलते इस पर्व का महत्व और भी बढ़ गया है। ये हैं शुभ मुहूर्त-
- सुबह 07:25 से 09:06 तक
- सुबह 09:06 से 10:47 तक
- दोपहर 02:08 से 03:48 तक
- शाम 07:10 से 08:29 तक
इस विधि से करें देवी गायत्री की पूजा (Gayatri Jayanti Puja Vidhi)
- 16 जून, रविवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। दिन भर व्रत के नियमों का पालन करें और मन ही मन गायत्री मंत्र का जाप करते रहें।
- ऊपर बताए गए किसी शुभ मुहूर्त में घर में किसी साफ स्थान पर देवी गायत्री की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। कुमकुम से तिलक करें, फूलों की माला पहनाएं, दीपक भी जलाएं।
- इसके बाद अबीर, गुलाल, रोली, फूल, फल आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाते रहें। अंत में देवी को भोग लगाएं और आरती करें। देवी गायत्री की पूजा से घर में सुख-शांति बनी रहती है।
देवी गायत्री की आरती (Devi Gayatri Ki Aarti)
जयति जय गायत्री माता, जयति जय गायत्री माता ।
सत् मार्ग पर हमें चलाओ, जो है सुखदाता ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
आदि शक्ति तुम अलख निरंजन जगपालक कर्त्री ।
दु:ख शोक, भय, क्लेश कलश दारिद्र दैन्य हत्री ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
ब्रह्म रूपिणी, प्रणात पालिन जगत धातृ अम्बे ।
भव भयहारी, जन-हितकारी, सुखदा जगदम्बे ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
भय हारिणी, भवतारिणी, अनघेअज आनन्द राशि ।
अविकारी, अखहरी, अविचलित, अमले, अविनाशी ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
कामधेनु सतचित आनन्द जय गंगा गीता ।
सविता की शाश्वती, शक्ति तुम सावित्री सीता ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
ऋग, यजु साम, अथर्व प्रणयनी, प्रणव महामहिमे ।
कुण्डलिनी सहस्त्र सुषुमन शोभा गुण गरिमे ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
स्वाहा, स्वधा, शची ब्रह्माणी राधा रुद्राणी ।
जय सतरूपा, वाणी, विद्या, कमला कल्याणी ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
जननी हम हैं दीन-हीन, दु:ख-दरिद्र के घेरे ।
यदपि कुटिल, कपटी कपूत तउ बालक हैं तेरे ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
स्नेहसनी करुणामय माता चरण शरण दीजै ।
विलख रहे हम शिशु सुत तेरे दया दृष्टि कीजै ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
काम, क्रोध, मद, लोभ, दम्भ, दुर्भाव द्वेष हरिये ।
शुद्ध बुद्धि निष्पाप हृदय मन को पवित्र करिये ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
जयति जय गायत्री माता,
जयति जय गायत्री माता ।
सत् मार्ग पर हमें चलाओ,
जो है सुखदाता ॥
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