सार

Kamda Ekadashi 2024: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। इस तिथि पर भगवान विष्णु की विशेष पूजा होती है और व्रत भी किया जाता है। इस बार अप्रैल महीने में कामदा एकादशी का व्रत किया जाएगा।

 

Kab Hai Kamda Ekadashi 2024: मान्यता है कि एकादशी तिथि पर की गई पूजा और व्रत की फल की गुना प्राप्त होता है। यही कारण है कि इस तिथि का धर्म ग्रंथों में विशेष महत्व बताया गया है। एक महीने में 2 एकादशी तिथि होती है। इस तरह एक साल में कुल 24 एकादशी आती है। इन सभी का नाम, महत्व, कथा आदि अलग-अलग है। इनमें से चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को कामदा एकादशी कहते हैं। जानें अप्रैल 2024 में कामदा एकादशी का व्रत कब किया जाएगा, इसकी पूजा विधि, महत्व, कथा व अन्य खास बातें…

कब करें कामदा एकादशी व्रत 2024? (Kamda Ekadashi 2024 Date)
पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 18 अप्रैल, गुरुवार की शाम 05:32 से शुरू होगी, जो अगले दिन 19 अप्रैल, शुक्रवार की रात 08:05 तक रहेगी। उज्जैन के ज्योतिचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, चूंकि एकादशी तिथि का सूर्योदय 19 अप्रैल, शुक्रवार को होगा, इसलिए इसी दिन ये व्रत किया जाएगा। इस दिन वृद्धि और ध्रुव नाम के शुभ योग होने से इस व्रत का महत्व और भी बढ़ गया है।

कामदा एकादशी व्रत-पूजा विधि (Kamada Ekadashi Vrat-Puja Vidhi)
- कामदा एकादशी के एक दिन पहले यानी 18 अप्रैल, गुरुवार की रात को सात्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- 19 अप्रैल, शुक्रवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद हाथ में जल-चावल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें।
- घर के किसी हिस्से की सफाई करें और गोमूत्र छिड़ककर पवित्र करें। यहां एक चौकी पर भगवान विष्णु की तस्वीर स्थापित करें।
- भगवान विष्णु के चित्र पर कुमकुम से तिलक लगाएं, फूलों की माला पहनाएं। तस्वीर के सामने शुद्ध घी का दीपक लगाएं।
- इसके बाद भगवान विष्णु को अबीर, गुलाल, रोली, चावल, फूल, पान आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाते रहें। अंत में भोग लगाएं।
- भोग के बाद भगवान की आरती करें। दिन भर सयंमपूर्वक रहें, संभव हो तो रात्रि में जागरण करें और भजन-कीर्तन करें।
- अगले दिन द्वादशी तिथि पर ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और दक्षिणा देकर विदा करें। इसके बाद ही स्वयं भोजन करें।

भगवान विष्णु की आरती (Lord Vishnu Aarti)
ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी।
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥
ओम जय जगदीश हरे...॥


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