सार
Chitragupta Puja 2024 Kab Hai: धर्म ग्रंथों के अनुसार, चित्रगुप्त भगवान यमराज के सहायक हैं। वे ही अपनी किताबों में मनुष्यों के अच्छे-बुरे कामों का हिसाब-किताब लिखते हैं। कायस्थ समाज के लोग इन्हें अपना आराध्य देव मानते हैं।
Chitragupta Puja 2024 Details In Hindi: चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की द्वितिया तिथि को भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, चित्रगुप्त भगवान यमराज के सहायक हैं और वे ही प्राणियों के अच्छे-बुरे कर्मों का हिसाब अपनी किताबों में लिखते हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार, जब यमदूत किसी व्यक्ति के प्राण निकालकर उसे यमलोक ले जाते हैं तो सबसे पहले चित्रगुप्त ही उसके कर्मों का लेखा-जोखा यमराज को बताते हैं। कायस्थ समाज के लोग इन्हें अपना आराध्य देव मानकर पूजा करते हैं। जानिए इस बार चैत्र मास में कब करें भगवान चित्रगुप्त की पूजा…
कब करें चित्रगुप्त पूजा 2024? (2024 Mai Kab Kare Chitragupt Puja)
पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की द्वितिया तिथि 26 मार्च, मंगलवार की दोपहर 02:55 से शुरू होगी, जो 27 मार्च, बुधवार की शाम 05:06 तक रहेगी। चूंकि द्वितिया तिथि का सूर्योदय 27 मार्च को उदय होगा, इसलिए इसी दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाएगी। इस दिन कईं शुभ योग भी बनेंगे, जिसके चलते इस पूजा का महत्व और भी बढ़ जाएगा।
ये है पूजा के शुभ मुहूर्त (Chitragupta Puja 2024 Shubh Muhurat)
- सुबह 07:58 से 09:29 तक
- सुबह 11:00 से दोपहर 12:32 तक
- दोपहर 03:34 से शाम 05:05 तक
- शाम 05:05 से 06:36 तक
भगवान चित्रगुप्त की पूजा विधि (Chitragupta Puja Vidhi)
-26 मार्च, बुधवार की सुबह स्नान करें और हाथ में जल व चावल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें। ऊपर बताए गए किसी एक शुभ मुहूर्त में पूजा शुरू करें।
- सबसे पहले घर में किसी साफ स्थान पर बाजोट यानी पटिया स्थापित कर, उसके ऊपर सफेद कपड़ा बिछाएं और इसके ऊपर भगवान चित्रगुप्त का चित्र रखें।
- चित्र के सामने शुद्ध घी का दीपक लगाएं। भगवान चित्रगुप्त को तिलक करें और हार पहनाएं। चन्दन, रोली, हल्दी, पान, सुपारी आदि चीजें चढ़ाएं।
- इसके बाद अपनी इच्छा अनुसार फल और मिठाई का भोग लगाएं। पुस्तक और कलम की पूजा भी की करें। ऐसा करते समय नीचे लिखा मंत्र बोलें-
मसिभाजनसंयुक्तं ध्यायेत्तं च महाबलम्।
लेखिनीपट्टिकाहस्तं चित्रगुप्तं नमाम्यहम्।।
- अंत में भगवान चित्रगुप्त की आरती करें। मान्यता है कि इस प्रकार पूजा करने से भगवान चित्रगुप्त प्रसन्न होते हैं और हर कामना पूरी करते हैं।
भगवान श्री चित्रगुप्त जी की आरती (Bhagvan Chitragupt Ki Aarti)
ॐ जय चित्रगुप्त हरे,
स्वामीजय चित्रगुप्त हरे ।
भक्तजनों के इच्छित,
फलको पूर्ण करे॥
विघ्न विनाशक मंगलकर्ता,
सन्तनसुखदायी ।
भक्तों के प्रतिपालक,
त्रिभुवनयश छायी ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
रूप चतुर्भुज, श्यामल मूरत,
पीताम्बरराजै ।
मातु इरावती, दक्षिणा,
वामअंग साजै ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
कष्ट निवारक, दुष्ट संहारक,
प्रभुअंतर्यामी ।
सृष्टि सम्हारन, जन दु:ख हारन,
प्रकटभये स्वामी ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
कलम, दवात, शंख, पत्रिका,
करमें अति सोहै ।
वैजयन्ती वनमाला,
त्रिभुवनमन मोहै ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
विश्व न्याय का कार्य सम्भाला,
ब्रम्हाहर्षाये ।
कोटि कोटि देवता तुम्हारे,
चरणनमें धाये ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
नृप सुदास अरू भीष्म पितामह,याद तुम्हें कीन्हा ।
वेग, विलम्ब न कीन्हौं,
इच्छितफल दीन्हा ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
दारा, सुत, भगिनी,
सबअपने स्वास्थ के कर्ता ।
जाऊँ कहाँ शरण में किसकी,
तुमतज मैं भर्ता ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
बन्धु, पिता तुम स्वामी,
शरणगहूँ किसकी ।
तुम बिन और न दूजा,
आसकरूँ जिसकी ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
जो जन चित्रगुप्त जी की आरती,
प्रेम सहित गावैं ।
चौरासी से निश्चित छूटैं,
इच्छित फल पावैं ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
न्यायाधीश बैंकुंठ निवासी,
पापपुण्य लिखते ।
'नानक' शरण तिहारे,
आसन दूजी करते ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे,
स्वामीजय चित्रगुप्त हरे ।
भक्तजनों के इच्छित,
फल को पूर्ण करे ॥
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