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Kanya Pujan Date Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि में कब करें कन्या पूजा? जानें सही डेट और इससे जुड़े खास नियम
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जानें कन्या पूजन से जुड़ी खास बातें...
इस बार चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2023) का पर्व 30 मार्च, गुरुवार तक मनाया जाएगा। नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजा की परंपरा है। कन्या पूजा के अंतर्गत छोटी बच्चियों को घर बुलाकर उन्हें भोजन करवाया जाता है और फिर उनकी पूजा कर अपनी इच्छा अनुसार उपहार दिया जाता है। कन्या पूजा (Kanya Pujan 2023) को कंजक पूजा (Kanjak Puja) भी कहा जाता है। कन्या पूजा के दौरान अनेक बातों का ध्यान रखा जाता है, तभी इसका संपूर्ण फल प्राप्त होता है। आगे जानिए चैत्र नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि कब है और कन्या पूजा के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए…
जानें कब है अष्टमी तिथि? (Chaitra Navratri 2023 Ashtami Date)
पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 28 मार्च, मंगलवार की शाम 07:02 से 29 मार्च, बुधवार की रात 09:07 तक रहेगी। चूंकि अष्टमी तिथि का सूर्योदय 29 मार्च को उदय होगा, इसलिए इसी दिन ये तिथि मानी जाएगी। इस दिन शोभन नाम का शुभ योग पूरे दिन रहेगा। इस शुभ योग में की गई पूजा बहुत ही शुभ फल देने वाली रहेगी।
जानें कब है नवमी तिथि? (Chaitra Navratri 2023 Navmi Date)
पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 29 मार्च, बुधवार की रात 09:07 से 30 मार्च, गुरुवार की रात 11:30 तक रहेगी। 30 मार्च को उदय तिथि नवमी होने से इस दिन राम नवमी का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन सुकर्मा, अमृतसिद्धि, सर्वार्थसिद्धि, गुरु पुष्य नाम के शुभ योग रहेंगे। इतने सारे शुभ योग होने से नवमी तिथि का महत्व और भी बढ़ जाएगा।
क्यों किया जाता है कन्या पूजन? (Kyo Kiya Jata Hai Kanya Puajn)
नवरात्रि के दौरान देवी की पूजा का विधान है। देवी भागवत पुराण के अनुसार, 10 साल से कम उम्र की कन्याएं साक्षात देवी का रूप मानी गई है, यही कारण है कि नवरात्रि के दौरान कन्या पूजा करने की परंपरा बनाई गई है। छोटी कन्याओं का मन एकदम निर्मल होता है, उन्में किसी प्रकार की कोई दुर्भावना नहीं होती, इसलिए भी नवरात्रि के दौरान इन्हें माता का रूप मानकर इनकी पूजा की जाती है।
कन्या पूजा में रखें इस बात का ध्यान
कन्या पूजा में 2 से 10 वर्ष तक की लड़कियों को भोजन के लिए आमंत्रित करना चाहिए। इसके पीछे आशय है कि जिन लड़कियों का मासिक धर्म शुरू न हुआ हो, वे ही कन्या पूजा के योग्य मानी जाती हैं। कन्याओं के अलावा छोटे लड़कों को भी भोजन के लिए बुलाएं। इन्हें हनुमानजी का स्वरूप माना जाता है। कथाओं के अनुसार, जब वैष्णोदेवी तपस्या कर रही थी, तब हनुमानजी ने ही गुफा के बाहर पहरा दिया था।
ये चीजें जरूर होनी चाहिए भोजन में
कन्या पूजा के लिए बनाए गए भोजन में भले ही कितने भी पकवान हो, लेकिन उसमें खीर या हलवा जरूर होनी चाहिए क्योंकि कहा जाता है कि इन दोनों चीजों के बिना देवी का भोग पूरा नहीं होता है। कन्याओं के बैठने के लिए उचित आसन की व्यवस्था करें। उन्हें नीचे यानी जमीन पर न बैठाएं।
इन बातों का भी रखें ध्यान
भोजन करवाने के बाद कन्याओं के मस्तक पर कुमकुम से तिलक लगाएं, इसके बाद पैर धुलवाएं और पूजा करें। साथ ही कन्याओं को उपहार के साथ-साथ कुछ पैसे दक्षिणा के रूप में जरूर दें। कन्याओं के घर आने से लेकर जाते समय तक उनका पूरा सम्मान करें, क्योंकि इस समय वे साक्षात देवी का रूप होती हैं।
Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें। आर्टिकल पर भरोसा करके अगर आप कुछ उपाय या अन्य कोई कार्य करना चाहते हैं तो इसके लिए आप स्वतः जिम्मेदार होंगे। हम इसके लिए उत्तरदायी नहीं होंगे।