सार

Aarti of Premananda Maharaj: वृंदावन वाले प्रेमानंद महाराज के अनेक भक्त हैं। कोई उनकी तस्वीर बनाता है तो कोई किसी और तरीके से उनका आशीर्वाद पाना चाहता है। ऐसे भी ही एक भक्त ने उनकी आरती लिखी है।

 

Premananda Maharaj Ki Aarti: वृंदावन वाले प्रेमानंद महाराज के हजारों भक्त हैं, जो किसी न किसी तरह से उनका आशीर्वाद पाना चाहते हैं। कोई उनकी तस्वीर बनाता है तो कोई किसी और तरीके से उनका आशीर्वाद पाना चाहता है। ऐसे ही एक भक्त ने उनकी आरती भी लिखी है। जब प्रेमानंद महाराज ने ये आरती सुनी तो वे भी बिना मुस्कुराए नहीं रह पाए। आगे आप भी पढ़िए प्रेमानंद महाराज की आरती…

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प्रेमानंद महाराज की आरती (Lyrics of Premananda Maharaj's Aarti in Hindi)

आरती कीजे जय श्री गुरुदेव जी की, जिनमें मूरत है श्रीजी की
ज्ञान प्रेम की सूरत जिनकी, व्यथा सुनत वो हर एक मन की
महिमा गावत राधा जी की, आरती कीजे श्री गुरुवर की

प्रेमानंद नाम अति प्यारो, जिनको देश निहारे सारो
देख प्रसन्न हो सूरत जिनकी, जिनमें मूरत है श्रीजी की
महिमा गावत राधा जी की, आरती कीजे श्री गुरुवर की

दर्शन को नित भक्त है आवत, राह में जिनके पुष्प बिछावत
जिन्में मूरत है श्रीजी की, आरती कीजे श्रीगुरुवार की
नए-नए नित्य प्रसंग सुनावत, वृंदावन की महिमा गावत
अति सुंदर है वाणी जिनकी, जिन्में मूरत है श्रीजी की
महिमा गावत राधा जी की, आरती कीजे श्री गुरुवर की

जो जन नित्य दर्शन है पावे, वो जन गुरुवार की महिमा गावे
हर कोई गावे महिमा जिनकी, जिनमें मूरत है श्रीजी की
जिनको सुनत मेरो मन मोहा, अति सुंदर राधा केलिकुंज की शोभा
वाणी सुनत बदल जाए मन की, जिनमें सूरत है श्रीजी की
आरती कीजे श्रीगुरुवर की

जिनके इक अंग बसी है राधा, दूजे अंग बसे हैं मुरारी
ब्रजमंडल ह्रदय बसे हैं जिनकी, जिनमें मूरत है श्रीजी की
जो गुरुदेव के मार्ग को जावे, वो बैकुंठ की राह बनावे
भक्त कहे जिनकी अमृत वाणी, जिनमें मूरत है श्रीजी की
आरती कीजे श्रीगुरुवार की


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