सार
माघ मास में गुप्त नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये नवरात्रि 10 फरवरी से शुरू हो रही है, जो 18 फरवरी तक रहेगी। इन 9 दिनों में रोज देवी दुर्गा जी की आरती करनी चाहिए। यहां पढ़ें मां दुर्गा की आरती जय अम्बे गौरी... और आरती करने की विधि।
Magh Gupt Navratri 2024 Durga Ji Ki Aarti: धर्म ग्रंथों के अनुसार, एक साल में 4 नवरात्रि मनाई जाती है। इनमें से 2 प्रकट और 2 गुप्त नवरात्रि होती है। हिंदू वर्ष की अंतिम नवरात्रि माघ मास में मनाई जाती है, इसे गुप्त नवरात्रि कहते हैं। इस बार ये नवरात्रि 10 से 18 फरवरी तक मनाई जाएगी। इस दौरान रोज देवी दुर्गा की पूजा और आरती करनी चाहिए। आगे जानिए दुर्गा जी की आरती जय मां अम्बे गौरी... आरती करने की सही विधि।
मां दुर्गा की आरती (Devi Durga Ki Aarti)
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिव री ॥1॥ जय अम्बे…
माँग सिंदुर विराजत टीको मृगमदको।
उज्ज्वल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको ॥2॥ जय अम्बे.…
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै।
रक्त-पुष्प गल माला, कण्ठनपर साजै ॥3॥ जय अम्बे…
केहरी वाहन राजत, खड्ग खपर धारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहरी ॥4॥ जय अम्बे…
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योती ॥5॥ जय अम्बे…
शुंभ निशुंभ विदारे, महिषासुर-धाती।
धूम्रविलोचन नैना निशिदिन मदमाती ॥6॥ जय अम्बे…
चण्ड मुण्ड संहारे, शोणितबीज हरे।
मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥7॥ जय अम्बे…
ब्रह्माणी, रूद्राणी तुम कमलारानी।
आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी ॥8॥ जय अम्बे…
चौसठ योगिनि गावत, नृत्य करत भैरूँ।
बाजत ताल मृदंगा औ बाजत डमरू ॥9॥ जय अम्बे…
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दुख हरता सुख सम्पति करता ॥10॥ जय अम्बे…
भुजा चार अति शोभित, वर मुद्रा धारी।
मनवाञ्छित फल पावत, सेवत नर-नारी ॥11॥ जय अम्बे…
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
(श्री) मालकेतु में राजत कोटिरतन ज्योती ॥12॥ जय अम्बे…
(श्री) अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख सम्पति पावै ॥13॥ जय अम्बे…
कैसे उतारें देवी की आरती? (Kaise Utare Devi Durga Ki Arti)
हिंदू धर्म में पूजा के बाद देवी-देवता की आरती उतारने की परंपरा है। आरती उतारने की भी एक खास विधि है। उसी के अनुसार, देवी-देवता की आरती उतारनी चाहिए। उसके अनुसार, देवी प्रतिमा की आरती 14 बार उतारनी चाहिए। 4 बार चरणों पर से, 2 बार नाभि पर से, 1 बार मुख पर से और 7 बार पूरे शरीर पर से। इस प्रकार आरती उतारने से देवी की कृपा हमारे ऊपर सदैव बनी रहती है।
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