सार
Masik Shivratri December 2024: भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए हर महीने शिवरात्रि व्रत किया जाता है। इसे मासिक शिवरात्रि व्रत कहते हैं। इस व्रत का महत्व अनेक धर्म ग्रंथों में मिलता है। जानें दिसंबर 2024 में कब करें ये व्रत?
धर्म ग्रंथों के अनुसार, हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए व्रत किया जाता है। इसे मासिक शिवरात्रि व्रत कहते हैं। चतुर्दशी तिथि के स्वामी स्वयं महादेव हैं, इसलिए इस दिन व्रत करने से वे अपने भक्तों की हर इच्छा पूरी करते हैं। जानें साल 2024 के अंतिम महीने दिसंबर में कब करें मासिक शिवरात्रि व्रत, पूजा विधि, मंत्र सहित पूरी डिटेल…
दिसंबर 2024 में कब करें मासिक शिवरात्रि व्रत?
पंचांग के अनुसार, पौष मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 29 दिसंबर, रविवार की तड़के 03 बजकर 32 मिनिट से 30 दिसंबर, सोमवार की सुबह 04 बजे तक रहेगी। चूंकि चतुर्दशी तिथि का सूर्योदय 29 दिसंबर को होगा, इसलिए इसी दिन मासिक शिवरात्रि का व्रत किया जाएगा। इस दिन सर्वार्थसिद्धि नाम का शुभ योग भी रहेगा, जिससे इस व्रत का महत्व और भी बढ़ गया है।
पौष मासिक शिवरात्रि के शुभ मुहूर्त (December Masik Shivratri 2024 Shubh Muhurat)
मासिक शिवरात्रि व्रत में भगवान शिव की पूजा रात्रि के चारों प्रहर में की जाती है। 29 दिसंबर, रविवार की रात का प्रथम प्रहर शाम 6 से रात 9 बजे तक रहेगा, दूसरा रात 9 से 12 बजे के बीच, तीसरा रात 12 से 3 बजे के बीच और चौथे प्रहर की पूजा तड़के 3 से सुबह 6 बजे के बीच करें।
मासिक शिवरात्रि व्रत-पूजा की विधि (Masik Shivratri Vrat-Puja Vidhi)
- 29 दिसंबर, रविवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। दिन भर व्रत के नियमों का पालन करें।
- शुभ मुहूर्त में मासिक शिवरात्रि की पूजा शुरू करें। शिवलिंग पर दूध और जल चढ़ाएं। इसके बाद फूल चढ़ाएं, दीपक जलाएं।
- एक-एक करके अबीर, गुलाल, रोली, बिल्व पत्र, धतूरा आदि चीजें चढ़ाएं। इसी तरह रात में तीन बार शिवलिंग की पूजा करें।
- चौथी बार पूजा करने के बाद शिवजी की आरती करें और भोग लगाएं। इस प्रकार मासिक शिवरात्रि का व्रत करना चाहिए।
भगवान शिव की आरती (Shiv ji Ki aarti)
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा ॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
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