सार

Margasirsa Shivratri November 2024: हर हिंदू महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिव चतुर्दशी व्रत किया जाता है, इसे मासिक शिवरात्रि भी कहते हैं। मार्गशीर्ष मास का मासिक शिवरात्रि का व्रत नवंबर 2024 में किया जाएगा।

 

धर्म ग्रंथों के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव ज्योतिर्लिंग रूप में प्रकट हुए थे। इसलिए हर महीने की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की हर इच्छा पूरी करते हैं। इस बार मार्गशीर्ष मास की मासिक शिवरात्रि का व्रत नवंबर 2024 में किया जाएगा। आगे जानिए इसकी सही डेट, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, कथा व अन्य बातें…

कब है मार्गशीर्ष मास 2024 की मासिक शिवरात्रि?

पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 29 नवंबर, शुक्रवार की सुबह 08 बजकर 40 मिनिट से शुरू होगी, जो 30 नवंबर, शनिवार की सुबह 10 बजकर 30 मिनिट तक रहेगी। चूंकि मासिक शिवरात्रि व्रत में महादेव की पूजा रात में की जाती है, इसलिए ये व्रत 29 नवंबर, शुक्रवार को किया जाएगा।

मार्गशीर्ष मासिक शिवरात्रि के शुभ मुहूर्त (November Masik Shivratri 2024 Shubh Muhurat)

मासिक शिवरात्रि व्रत में भगवान शिव की पूजा रात्रि के चारों प्रहर में की जाती है। 29 नवंबर, शुक्रवार की रात का प्रथम प्रहर शाम 6 से रात 9 बजे तक रहेगा। यानी प्रथम पूजा इस प्रहर में करें। दूसरे प्रहर की पूजा रात 9 से 12 बजे के बीच करें। तीसरे प्रहर की पूजा रात 12 से 3 बजे के बीच करें। चौथे और अंतिम प्रहर की पूजा तड़के 3 बजे से सुबह 6 बजे के बीच करें।

मासिक शिवरात्रि व्रत-पूजा की विधि (Masik Shivratri Vrat-Puja Vidhi)

29 नवंबर, शुक्रवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और हाथ में जल-चावल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें। दिन भर व्रत के नियमों का पालन करें। एक समय फलाहार कर सकते हैं। शुभ मुहूर्त से पहले पूजा की तैयारी कर लें। सबसे पहले शिवलिंग का दूध और जल से अभिषेक करें। इसके बाद फूल चढ़ाएं, दीपक जलाएं। अबीर, गुलाल, रोली, बिल्व पत्र, धतूरा आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाते रहें। इसी तरह रात में तीन बार महादेव की पूजा करें। चौथी बार पूजा करने के बाद शिवजी की आरती करें और भोग लगाएं। इस प्रकार व्रत-पूजा करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।

भगवान शिव की आरती (Shiv ji Ki aarti)

जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा ॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥


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