सार
Margashirsha Amavasya 2024: इन दिनों हिंदू पंचांग का नौवां महीना मार्गशीर्ष चल रहा है। इस महीने में अमावस्या तिथि का योग 2 दिन बन रहा है, जिसके चलते श्राद्ध और स्नान-दान की डेट अलग-अलग आ रही है। जानें कब करें श्राद्ध और कब स्नान-दान?
Margashirsha Amavasya 2024 Date: धर्म ग्रंथों के अनुसार, हिंदू पंचांग के नौवें महीने को मार्गशीर्ष और अगहन कहते हैं। इस महीने के स्वामी स्वयं भगवान विष्णु हैं। वर्तमान में मार्गशीर्ष मास का कृष्ण पक्ष चल रहा है, जिसकी अंतिम तिथि अमावस्या है। इस बार मार्गशीर्ष मास की अमावस्या तिथि 2 दिन रहेगी, जिसके चलते लोगों के मन में ये संशय है कि श्राद्ध कब करें और स्नान-दान कब? उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी से जानें मार्गशीर्ष मास की अमावस्या तिथि कब से कब तक रहेगी और श्राद्ध व स्नान-दान कब करें?
कब से कब तक रहेगी मार्गशीर्ष मास की अमावस्या तिथि? (Kab Hai Margashirsha Amavasya 2024)
पंचांग के अनुसार, इस बार मार्गशीर्ष मास की अमावस्या तिथि 30 नवंबर, शनिवार की सुबह 10 बजकर 30 मिनिट से शुरू होगी, जो अगले दिन यानी 01 दिसंबर, रविवार की सुबह 11 बजकर 51 मिनिट तक रहेगी। इस तरह ये तिथि 1 नहीं बल्कि 2 दिन मानी जाएगी। इसी वजह से लोगों के मन में संशय की स्थिति बनी हुई है।
कब करें मार्गशीर्ष मास में श्राद्ध?
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, हमारे धर्म ग्रंथों में श्राद्ध के लिए दोपहर का समय श्रेष्ठ बताया गया है। श्राद्ध हमेशा कुतपकाल में करना चाहिए जो दोपहर 12 बजे के आस-पास होता है। मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि का कुतप काल 30 नवंबर, शनिवार को रहेगा। इस हिसाब से पितरों की शांति के लिए किए जाने वाले श्राद्ध और पिंडदान के लिए यही दिन श्रेष्ठ रहेगा।
कब करें मार्गशीर्ष मास में अमावस्या का स्नान-दान?
ज्योतिषाचार्य पं. द्विवेदी के अनुसार, किसी भी तिथि का स्नान-दान उदया तिथि देखकर किया जाता है यानी जिस तिथि में सूर्योदय हो, उसी तिथि में स्नान-दान करने का महत्व है। मार्गशीर्ष मास की अमावस्या तिथि का सूर्योदय 1 दिसंबर, रविवार को होगा। इसलिए इसी दिन स्नान-दान का महत्व माना जाएगा।
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Disclaimer
इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।