- Home
- Religion
- Puja Vrat Katha
- Navratri 2025 5th Day: कब है नवरात्रि की पंचमी तिथि? जानें स्कंदमाता की पूजा विधि, मंत्र और आरती
Navratri 2025 5th Day: कब है नवरात्रि की पंचमी तिथि? जानें स्कंदमाता की पूजा विधि, मंत्र और आरती
Navratri 2025 5th Day: शारदीय नवरात्रि की पंचमी तिथि की देवी स्कंदमाता हैं। भगवान स्कंद यानी कार्तिकेय की माता होने से देवी का ये नाम पड़ा। इनकी पूजा से संतान सुख मिलता है, ऐसा धर्म ग्रंथों में लिखा है।

जानें देवी स्कंदमाता की पूजा से जुड़ी हर बात
Navratri 2025 Devi Skandmata Puja Vidhi: इस बार शारदीय नवरात्रि की पंचमी तिथि को लेकर मतभेद की स्थिति बन रही है। पंचांग के अनुसार, इस बार चतुर्थी तिथि 2 दिन होने से ऐसा हो रहा है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, शारदीय नवरात्रि की पंचमी तिथि 27 सितंबर, शनिवार को रहेगी। इस दिन देवी स्कंदमाता की पूजा की जाएगी। इस दिन कईं शुभ योग भी बन रहे हैं, जिसके इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। आगे जानिए देवी स्कंद माता की पूजा विधि, मंत्र, आरती और महत्व आदि पूरी डिटेल…
ये भी पढ़ें-
Shardiya Navratri 2025: 64 योगिनियां कौन हैं? जानिए नाम और रहस्यमयी मंदिरों का अद्भुत रहस्य
27 सितंबर 2025 शुभ मुहूर्त
सुबह 07:50 से 09:19 तक
दोपहर 12:17 से 01:46 तक
दोपहर 11:54 से 12:41 तक (अभिजीत मुहूर्त)
दोपहर 03:16 से 04:45 तक
ये भी पढ़ें
Ayudha Puja 2025 Date: कब करें आयुध पूजा, 1 या 2 अक्टूबर? जानें सही डेट, मुहूर्त और विधि
इस विधि से करें देवी स्कंदमाता की पूजा
27 सितंबर, शनिवार को सुबह उठकर स्नान आदि करें और व्रत-पूजा का संकल्प लें। घर में जहां भी पूजा का स्थान है, उसे अच्छी तरह से साफ करें और गौमूत्र छिड़ककर पवित्र कर लें। इस स्थान पर लकड़ी का पटिया रख लाल कपड़ा बिछाएं और यहां देवी स्कंदमाता की तस्वीर स्थापित करें। देवी की तस्वीर पर फूलों की माला पहनाएं, कुमकुम से तिलक करें। शुद्ध घी का दीपक भी लगाएं। अबीर, गुलाल, सिंदूर, मेहंदी, हल्दी आदि चीजें एक-एक कर चढ़ाएं। केले का भोग लगाएं और नीचे लिखा मंत्र बोलने के बाद आरती करें-
या देवी सर्वभूतेषु स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
स्कंदमाता की आरती (Skandmata Ki Aarti)
नाम तुम्हारा आता, सब के मन की जानन हारी।
जग जननी सब की महतारी।।
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं, हरदम तुम्हें ध्याता रहूं मैं।
कई नामों से तुझे पुकारा, मुझे एक है तेरा सहारा।।
कहीं पहाड़ों पर है डेरा, कई शहरो मैं तेरा बसेरा।
हर मंदिर में तेरे नजारे, गुण गाए तेरे भगत प्यारे।
भक्ति अपनी मुझे दिला दो, शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो
इंद्र आदि देवता मिल सारे, करे पुकार तुम्हारे द्वारे
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए, तुम ही खंडा हाथ उठाए
दास को सदा बचाने आई, चमन की आस पुराने आई।
Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।