Navratri 2025 Kanya Pujan Date And Time: शारदीय नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन की परंपरा है। मान्यता है कि बिना कन्या पूजन के नवरात्रि पर्व पूरा नहीं होता। कन्या पूजन से जुड़े अनेक नियम धर्म ग्रंथों में बताए गए हैं।

Kanya Pujan 2025 Details: शारदीय नवरात्रि पर्व से जुड़ी अनेक परंपराएं हैं, कन्या पूजन भी इनमें से एक है। वैसे तो नवरात्रि में किसी भी दिन कन्या पूजन किया जा सकता है लेकिन अष्टमी और नवमी तिथि इसके लिए श्रेष्ठ मानी गई हैं। कन्या पूजन से जुड़ी अनेक मान्यताएं और नियम हैं। कहते हैं कि नवरात्रि में कन्या पूजन करवाने से माता की कृपा बनी रहती है। आगे जानिए शारदीय नवरात्रि 2025 में कब करें कन्या पूजन, शुभ मुहूर्त, मंत्र और विधि सहित पूरी डिटेल…

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शारदीय नवरात्रि 2025 में कब करें कन्या पूजन?

नवरात्रि में कन्या पूजन बहुत शुभ फल देने वाला माना गया है। अष्टमी और नवमी तिथि इसके लिए बहुत शुभ मानी गई है। इस बार शारीदय नवरात्रि की अष्टमी तिथि 30 सितंबर, मंगलवार को और नवमी तिथि 1 अक्टूबर, बुधवार को है। ये दोनों गी तिथियां कन्या पूजन के लिए बहुत श्रेष्ठ मानी गई है। दोनों ही दिन कईं शुभ योग भी बनेंगे।

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30 सितंबर 2025 कन्या पूजन शुभ मुहूर्त

सुबह 09:19 से 10:48 तक
सुबह 10:48 से दोपहर 12:16 तक
दोपहर 11:53 से 12:40 तक
दोपहर 12:16 से 01:45 तक
दोपहर 03:14 से शाम 04:42 तक

1 अक्टूबर 2025 कन्या पूजन शुभ मुहूर्त

सुबह 06:22 से 07:50 तक
सुबह 07:50 से 09:19 तक
सुबह 10:47 से दोपहर 12:16 तक
दोपहर 03:13 से शाम 04:42 तक
शाम 04:42 से 06:10 तक

नवरात्रि में कैसे करें कन्या पूजन?

- जिस भी दिन आप आप कन्या पूजन करना चाहते हैं, उसके एक दिन पहले कन्याओं को भोजन के लिए निमंत्रण देकर आएं। कन्याएं जब घर पर आ जाएं तो उन्हें माता का स्वरूप मानकर सम्मान पूर्वक बैठाएं। शुद्ध-सात्विक भोजन बनवाएं।
- भोजन में खीर या हलवा जरूर होना चाहिए क्योंकि ये चीजें देवी को विशेष रूप से प्रिय हैं। कन्याओं को प्रेम से भोजन करवाएं। भोजन के बाद सभी कन्याओं को पूजन के लिए एक क्रम से बैठा दें। कन्याओं को चुनरी ओढ़ाएं, तिलक लगाएं।
- कन्याओं के पैर धोकर महावर या मेहंदी लगाएं। इसके बाद हाथ में फूल लेकर यह मंत्र बोलें-
मंत्राक्षरमयीं लक्ष्मीं मातृणां रूपधारिणीम्।
नवदुर्गात्मिकां साक्षात् कन्यामावाहयाम्यहम्।।
जगत्पूज्ये जगद्वन्द्ये सर्वशक्तिस्वरुपिणि।
पूजां गृहाण कौमारि जगन्मातर्नमोस्तु ते।।
- ये फूल कन्याओं के पैर में रखकर श्रद्धा से प्रणाम करें। अपनी इच्छा अनुसार कन्याओं को उपहार दें। साथ में दक्षिणा यानी पैसा भी जरूर दें। घर के दरवाजे तक कन्याओं को छोड़ने जाएं। कन्या पूजन करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।

नवरात्रि में क्यों करते हैं कन्या पूजन?

धर्म ग्रंथों में छोटी कन्याओं को देवी का रूप माना गया है और नवरात्रि देवी की आराधना का पर्व है। इसलिए हमारे विद्वानों ने नवरात्रि में कन्या पूजन की परंपरा बनाई। इससे जुड़ा एक और मनोवैज्ञानिक पक्ष ये भी है कि कन्या पूजन करने से मन में स्त्रियों के प्रति आदर का भाव आता है जो एक सभ्य समाज के लिए जरूर है। ऐसा भी कहते हैं कि कन्या पूजन करने से जीवन में सुख-समृद्धि व शांति बनी रहती है।

क्या है कन्या पूजन के नियम?

1. कन्या पूजन में 2 से 10 वर्ष तक की कन्या की ही पूजा करनी चाहिए। इससे कम या ज्यादा उम्र की कन्या का पूजन करने की मनाही है।
2. कन्या पूजन में कम से कम 9 कन्या जरूर होनी चाहिए। इससे ज्यादा हो तो और भी अच्छा लेकिन कम नहीं हो।
3. कन्या पूजन में कन्या के अलावा एक बालक को भैरव को रूप में जरूर बुलाएं। उसे भी भोजन करवाएं और उपहार दें।
4. कन्या पूजन के लिए जो भी भोजन बनाएं, उसमें शुद्धता और पवित्रता का विशेष तौर पर ध्यान रखें।
5. कन्या पूजन के बाद ही स्वयं भोजन करें, इसके पहले नहीं। कन्या पूजन का भोग सबसे पहले देवी को अर्पित करें।


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।