नवरात्रि के आठवें और नौवें दिन कन्या पूजन किया जाता है। छोटी कन्याओं को देवी मानकर उनके पैर धोए जाते हैं, उन्हें आसन पर बिठाया जाता है, तिलक लगाया जाता है और पवित्र धागा बाँधा जाता है। उन्हें हलवा, पूरी और छोले खिलाए जाते हैं और उपहार दी जाती है।
Kanya Pujan during Navratri: नवरात्रि का पावन समय देवी दुर्गा की भक्ति और शक्ति का अनुभव करने का सबसे शुभ अवसर होता है। कन्या पूजन के बिना यह पर्व अधूरा माना जाता है। अष्टमी और नवमी के दिन देवी दुर्गा छोटी कन्याओं के रूप में हर घर में आती हैं। कन्या पूजन का असली अर्थ है छोटी कन्याओं में देवी का रूप देखना, उनका सम्मान करना और उनकी मुस्कान में मां की कृपा का अनुभव करना। इस दिन, उनके पैर धोकर उन्हें आसन पर बिठाया जाता है, उनके माथे पर तिलक लगाया जाता है और उनके हाथों पर पवित्र धागा बांधा जाता है, और फिर उन्हें प्रेमपूर्वक हलवा, आलू-पूरी और चना खिलाया जाता है। जब हम उनके चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लेते हैं, तो स्वयं मां कन्याओं के रूप में हमें आशीर्वाद देती हैं।
कन्या पूजन कब है?
- 30 सितंबर, 2025 - अष्टमी कन्या पूजन
- 1 अक्टूबर, 2025 - नवमी कन्या पूजन
- ये दोनों दिन देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के शुभ अवसर प्रदान करते हैं।
कन्या पूजन की एक सरल विधि
- घर की सफाई करें, पूजा स्थल तैयार करें और देवी दुर्गा की मूर्ति स्थापित करें। पूजा करें और प्रसाद चढ़ाएं।
- पूजा के बाद, कन्याओं को आमंत्रित करें, उनके पैर धोएँ और उन्हें आसन पर बैठाएँ।
- उन्हें तिलक लगाएं और उनके हाथों पर कलावा बांधें।
- प्रेमपूर्वक हलवा, आलू-पूरी और चने का प्रसाद परोसें।
- भोजन के बाद, उन्हें उपहार और दक्षिणा दें।
- अंत में, उनके चरण स्पर्श करें और उनका आशीर्वाद लें।
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इन बातों का रखें ध्यान
- कन्या पूजन के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
- पूजा स्थल और घर का वातावरण स्वच्छ होना चाहिए।
- कन्याओं को सात्विक भोजन परोसें, जिसमें प्याज, लहसुन या ज़्यादा मसालेदार भोजन न हो।
- हर कन्या को, चाहे उसका कुल या पद कुछ भी हो, समान सम्मान और प्रेम दें।
- मां दुर्गा सभी रूपों में समान हैं, इसलिए भेदभाव न करें।
कन्या पूजन के लिए सबसे शुभ समय सुबह से दोपहर तक है। हालांकि, देवी दुर्गा भक्ति और भावना को सबसे श्रेष्ठ मानती हैं, इसलिए यदि आपके मन में सच्ची श्रद्धा है, तो दिन के किसी भी समय कन्या पूजन किया जा सकता है।
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