सार

Navratri 2024: शारदीय नवरात्रि में रोज देवी के एक अलग स्वरूप की पूजा की जाती है। नवरात्रि के तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा की पूजा का विधान है। इस बार 5 अक्टूबर, शनिवार को देवी के इस रूप की पूजा की जाएगी।

 

Navratri 2024 Devi Chandraghanta Puja Vidhi: नवरात्रि हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। नवरात्रि में रोज देवी के अलग रूप की पूजा की जाती है। इस बार शारदीय नवरात्रि की शुरूआत 3 अक्टूबर से हो चुकी है। नवरात्रि के तीसरे दिन यानी 5 अक्टूबर, शनिवार को माता के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा की जाएगी। देवी के इस रूप की पूजा करने से सभी संकटों से मुक्ति मिल सकती है। आगे जानिए देवी चंद्रघंटा की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, आरती, मंत्र और कथा…

5 अक्टूबर 2024 शुभ मुहूर्त (5 October 2024 Shubh Muhurat)
- सुबह 07:51 से 09:19 तक
- सुबह 11:51 से दोपहर 12:38 तक (अभिजीत मुहूर्त)
- दोपहर 12:15 से 01:42 तक
- सुबह 03:10 से 04:38 तक

मां चंद्रघंटा की पूजा विधि (Devi Chandraghanta Ki Puja Vidhi)
- 5 अक्टूबर, शनिवार की सुबह जल्दी स्नान आदि करने के बाद घर में किसी साफ स्थान पर देवी चंद्रघंटा की तस्वीर या चित्र स्थापित करें।
- सबसे पहले देवी को तिलक लगाएं, फूलों की माला चढ़ाएं। इसके बाद कुंकुम, चावल, अबीर, गुलाल, रोली, मेहंदी, आदि चीजें भी चढ़ाएं।
- नीचे लिखा मंत्र 11 बार बोलें।
पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥
- इसके बाद देवी को अपनी इच्छा अनुसार भोग लगाएं और आरती भी करें। देवी की पूजा से हर संकट दूर होता है।

मां चंद्रघंटा की आरती (Goddess Chandraghanta Aarti)
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम। पूर्ण कीजो मेरे काम।।
चंद्र समान तू शीतल दाती। चंद्र तेज किरणों में समाती।।
क्रोध को शांत बनाने वाली। मीठे बोल सिखाने वाली।।
मन की मालक मन भाती हो। चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।।
सुंदर भाव को लाने वाली। हर संकट मे बचाने वाली।।
हर बुधवार जो तुझे ध्याये। श्रद्धा सहित जो विनय सुनाय।।
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं। सन्मुख घी की ज्योत जलाएं।।
शीश झुका कहे मन की बाता। पूर्ण आस करो जगदाता।।
कांची पुर स्थान तुम्हारा। करनाटिका में मान तुम्हारा।।
नाम तेरा रटू महारानी। भक्त की रक्षा करो भवानी।।

मां चंद्रघंटा की कथा (Devi Chandraghanta Ki Katha)
प्रचलित कथा के अनुसार, प्राचीन समय में महिषासुर नाम का एक दैत्य था। उसने देवताओं को भी पराजित कर दिया। तब सभी देवता त्रिदेवों के पास गए। तब त्रिदेवों ने अपने शक्ति से एक देवी को प्रकट किया। यही देवी दुर्गा कहलाई। देवी के सिर पर चंद्रमा विराजित था, इसलिए इनका नाम चंद्रघंटा कहलाया। देवी ने महिषासुर से युद्ध कर उसका वध कर दिया।


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