Papankusha Ekadashi Katha: इस बार पापांकुशा एकादशी का व्रत 3 अक्टूबर, शुक्रवार को किया जाएगा। इस व्रत से जुड़ी एक कथा भी है, जिसे सुनने से हर तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है।

Papankusha Ekadashi Vrat: आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापांकुशा एकादशी कहते हैं। इस एकादशी का महत्व अनेक धर्म ग्रंथों में बताया गया है। दशहरे के अगले दिन ये व्रत किया जाता है। इस बार पापांकुशा एकादशी का व्रत 3 अक्टूबर, शुक्रवार को किया जाएगा। इस दिन प्रजापति, सर्वार्थसिद्धि और धृति नाम के 3 शुभ योग दिन भर रहेंगे, जिससे इस एकादशी का महत्व और भी बढ़ गया है। पापांकुशा एकादशी से जुड़ी एक कथा भी है, जिसे सुने बिना इस व्रत का पूरा फल नहीं मिलता। आगे पढ़ें ये कथा…

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पापांकुशा एकादशी व्रत कथा (Papankusha Ekadashi Vrat Katha in Hindi)

प्रचलित कथा के अनुसार, किसी समय विंध्य पर्वत पर एक लूटेरा रहता था। उसने अपने जीवन में बहुत से गलत काम जैसे लूट-पाट, हिंसा और व्याभिचार किए थे। जब उस लूटेरे का अंत समय आया तो यमदूत उसके प्राण हरने आए। यमदूत ने उसे बताया कि कल तुम्हारा धरती पर अंतिम दिन है। ये सुनकर लूटेरा बहुत डर गया। उसे समझ आ गया कि उसके बुरे कर्मों की सजा उसे जरूर मिलेगी। इस बात से डरकर वो अंगिरा ऋषि के पास गया और उन्हें अपने पाप कर्मों के बारे में सच-सच बता दिया और उनसे मुक्ति के बारे में पूछा। संयोग से उस दिन आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि थी। अंगिरा ऋषि ने उसे पापांकुशा एकादशी व्रत करने को कहा। लुटेरे ने विधि-विधान से पापांकुशा एकादशी का व्रत किया, जिसके प्रभाव से उसे अपने सभी पाप कर्मों से मुक्ति मिल गई और मृत्यु के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई।

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पापांकुशा एकादशी का महत्व

महाभारत में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को पापांकुशा एकादशी व्रत के बारे में बताया है। उसके अनुसार इस एकादशी व्रत का फल सहस्र अश्वमेध तथा सौ राजसूय यज्ञ के समान है। इस व्रत को करने से व्यक्ति को निरोगी शरीर, सुंदर पत्नी और धन-धान्य आदि सभी कुछ प्राप्त होता है। जो व्यक्ति इस एकादशी पर जमीन, गाय, अनाज, जल, चप्पल, वस्त्र, छाता आदि चीजों का दान करता है, उसे यम के दर्शन नहीं होते यानी मरने के बाद वह नरक नहीं जाता।


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