सार

Parma Ekadashi 2023: 12 अगस्त, शनिवार को सावन अधिमास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत किया जाएगा। इसे पद्ममिनी और परमा एकादशी कहा जाता है। ये एकादशी 3 साल में एक बार आती है, इसलिए इसका विशेष महत्व धर्म ग्रंथों मे बताया गया है।

 

उज्जैन. पंचांग के अनुसार, इस समय सावन का अधिक मास चल रहा है। अधिक मास 3 साल में एक बार आता है और सावन के अधिक मास का संयोग तो 19 साल बाद बना है। इसके पहले साल 2004 में सावन अधिक मास का संयोग बना था। अधिक मास की एकादशी तिथि बहुत ही शुभ माना गई है। 12 अगस्त, शनिवार को सावन अधिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत किया जाएगा। आगे जानिए इस एकादशी की पूजा विधि, महत्व, शुभ मुहूर्त व अन्य खास बातें…

परमा एकादशी के शुभ मुहूर्त (Parma Ekadashi 2023 Shubh Muhurat)
- सुबह 07:42 से 09:18 तक
- दोपहर 12:06 से 12:57 तक
- दोपहर 12:31 से 02:08 तक
- दोपहर 03:45 से 05:21 तक
- परमा एकादशी का पारना 13 अगस्त, रविवार की सुबह 05:49 से 08:19 के बीच करें।

इस विधि से करें पद्मिनी एकादशी का व्रत (Padmini Ekadashi Puja-Vrat Vidhi)
- परमा एकादशी व्रत के नियमों का पालन एक दिन पहले यानी 11 अगस्त, शुक्रवार से ही शुरू करें। रात में सात्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- 12 अगस्त, शनिवार को स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। शुभ मुहूर्त में भगवान विष्णु की तस्वीर या चित्र बाजोट यानी पटिए पर स्थापित करें।
- शुद्ध घी की दीपक जलाएं। कुमकुम से तिलक करें और गंध, रोली, अबीर, गुलाल, पान, फूल, चावल आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाते रहें।
- अपनी इच्छा अनुसार तुलसी के पत्ते डालकर भगवान को भोग लगाएं। सबसे अंत में आरती करें और प्रसाद भक्तों में बांट दें। दिन भर बिना कुछ खाए-पिएं नहीं।
- अगर पूर्ण उपवास करना संभव न हो तो एक समय फलाहार यानी फल और दूध का सेवन कर सकते हैं। रात को भगवान को भजन करें और जमीन पर सोएं।
- अगले दिन यानी 13 अगस्त, रविवार की सुबह शुभ मुहूर्त में विधि-विधान से व्रत का पारणा करें। इस व्रत से जन्म-जन्म के पाप उतर जाते हैं।

भगवान विष्णु की आरती
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी।
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय…॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय…॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय…॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय…॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय…॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय…॥


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