Saphala Ekadashi Vrat Katha: पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी कहते हैं। इस बार इस एकादशी का व्रत 15 दिसंबर, सोमवार को किया जाएगा। इस व्रत का महत्व अनेक धर्म ग्रंथों में बताया गया है।
Saphala Ekadashi Vrat Katha In Hindi: धर्म ग्रंथों के अनुसार एक साल में कुल 24 एकादशी होती है। इनमें से सफला एकादशी भी एक है। इस एकादशी की कथा स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सुनाई थी और कहा था ‘जैसे नागों में शेषनाग, पक्षियों में गरूड़ और ग्रहों में सूर्य व चन्द्र हैं, उसी तरह सफला एकादशी भी सभी एकादशियों में श्रेष्ठ है। इस दिन जो व्यक्ति विधि पूर्वक व्रत करता है उसे अश्वमेध यज्ञ के समान फल प्राप्त होते हैं।’ इस व्रत की कथा भी बहुत रोचक है। आगे पढ़ें इस व्रत की कथा…
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सफला एकादशी व्रत की कथा
किसी समय चम्पावती नाम की नगरी में महिष्मान नाम का राजा राज्य करता था। उसके चार पुत्र थे जिनमें सबसे बड़ा पुत्र लुम्पक बहुत ही क्रूर और पापी था। सारी प्रजा उससे बहुत दुखी थी। एक दिन जब राजा को अपने पुत्र की बारे में पता चला तो उन्होंने क्रोधित होकर लुम्पक को अपने राज्य से बाहर निकाल दिया।
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राज्य से निकालने जाने के बाद लुम्पक चोरी करके अपने जीवन यापन करने लगा। वन में रहते हुए वह पशु-पक्षियों की हत्या कर उन्हें खा जाता था। जिस वन में लुम्पक रहता था, वह भगवान को अति प्रिय था। वन में एक पीपल का पेड़ था। लुम्पक अधिकांश समय उस पेड़ के नीचे ही समय बीताता था।
एक बार पौष मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को लुम्पक शीत ऋतु के कारण मूर्च्छित हो गया। उसके हाथ-पैर अकड़ गये। रात भर लुम्पक इसी अवस्था में पड़ा रहा। अगले दिन सूर्योदय होने के बाद जब वह उठा तो भोजन की तलाश करने लगा। उसने कुछ गिरे हुए फल उठाए पुन: उसी पीपल के वृक्ष के नीचे गया।
लेकिन उसे वो फल पसंद नहीं थे, इसलिए उसने उन्हें खाया नहीं। दुखी होकर उसने वो फल पीपल के नीचे रख दिए और कहा 'हे ईश्वर! इन फलों से आप ही तृप्त हों।' उस रात लुम्पक को नींद नही आई। इस तरह अज्ञानतावश उससे एकादशी का उपवास हो गया। इससे भगवान विष्णु उससे बहुत प्रसन्न हो गए।
एकादशी का व्रत करने से उसके सभी पाप नष्ट हो गए और उसकी बुद्धि भी शुद्ध हो गई। जब ये बात राजा महिष्मान को पता चली तो उन्होंने लुम्पक को बुलाकर उसे राज्य का भार सौंप दिया। लुम्पक भगवान का भक्त और प्रजा का सेवक बनकर राज करने लगे। प्रजा भी उसके राज्य में बहुत खुश रहने लगी।
Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।
