Sharad Purnima 2025: शरद पूर्णिमा 2025 सोमवार, 6 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन देवी लक्ष्मी और चंद्र देव की पूजा की जाती है। भद्रा काल समाप्त होने के बाद, रात 10:37 बजे से 12:09 बजे के बीच खीर का भोग लगाना शुभ माना जाता है।
Sharad Purnima 2025: शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा और रास पूर्णिमा भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर अवतरित होती हैं और भगवान कृष्ण गोपियों के साथ रास लीला करते हैं। इसे आश्विन पूर्णिमा भी कहा जाता है क्योंकि यह आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को पड़ती है। शरद पूर्णिमा सोमवार, 6 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है और चंद्र देव को भोग लगाया जाता है। आइए इस लेख में शरद पूर्णिमा से जुड़ी सभी जानकारी प्रदान करते हैं।
शरद पूर्णिमा को कोजागरी और रास पूर्णिमा क्यों कहा जाता है?
शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा इसलिए कहा जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस रात देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं और पूछती हैं, "को जाग्रति?" (अर्थात, कौन जाग रहा है?)। जो लोग जागते रहते हैं और देवी की पूजा करते हैं, उन पर देवी अपनी कृपा बरसाती हैं। वहीं, ब्रज क्षेत्र में, शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा के रूप में जाना जाता है, क्योंकि इसी रात भगवान कृष्ण ने वृंदावन में गोपियों के साथ महारास रचाया था। इस रात चंद्रमा पूर्ण रूप से प्रकट होता है।
शरद पूर्णिमा शुभ मुहूर्त 2025
पूर्णिमा तिथि आरंभ - 6 अक्टूबर दोपहर 12:33 बजे।
पूर्णिमा तिथि समाप्त - 7 अक्टूबर सुबह 9:16 बजे।
भद्रा काल आरंभ - 6 अक्टूबर दोपहर 12:23 बजे।
भद्रा काल समाप्त - 6 अक्टूबर रात 10:53 बजे।
शरद पूर्णिमा पर खीर का भोग किस समय लगाना चाहिए?
भद्रा काल समाप्त होने के बाद, शरद पूर्णिमा की खीर का भोग चंद्रमा की छाया में लगाना चाहिए। इसलिए, लाभ और समृद्धि का शुभ मुहूर्त 6 अक्टूबर की रात 10:37 बजे से 7 अक्टूबर की रात 12:09 बजे तक रहेगा। इस दौरान आप किसी भी समय खीर का भोग लगा सकते हैं।
शरद पूर्णिमा पूजा के लिए किन सामग्रियों की आवश्यकता होती है?
शरद पूर्णिमा पूजा के लिए आपको लक्ष्मी और विष्णु की मूर्तियां, गंगाजल, चावल, धूप, दीपक, कपूर, फूल, सुपारी, पान, रोली, मौली और खीर की आवश्यकता होगी। इस पूजा के लिए आपको लाल वस्त्र, एक चौकी, एक कलश, नैवेद्य (मिठाई और फल) और कुछ सिक्के चाहिए होंगे।
शरद पूर्णिमा पूजा कैसे करें?
- पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं।
- चौकी पर लक्ष्मी और भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- फिर शुद्ध घी का दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
- हाथ में गंगाजल लेकर पूजा करने का संकल्प लें।
- लक्ष्मी और विष्णु की मूर्तियों को दूध और गंगाजल से स्नान कराएं।
- उन्हें चावल, कुमकुम, रोली, मौली, चंदन, फूल, सुपारी और पान अर्पित करें।
- देवी लक्ष्मी को खीर, फल और मिठाई का भोग लगाएं और आरती करें।
- रात्रि में एक बर्तन में जल, चावल और फूल डालकर चंद्र देव को अर्घ्य दें।
- पूजा की खीर को छलनी से ढककर पूरी रात चांदनी में रखें।
- अगले दिन सुबह इस खीर को प्रसाद के रूप में बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें।
शरद पूर्णिमा लक्ष्मी जी का मंत्र क्या है?
- ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः
- बीज मंत्र:- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नमः।
- महालक्ष्मी मंत्र:- ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसिद्ध प्रसिद्ध श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः।
शरद पूर्णिमा के चंद्रमा का मंत्र क्या है?
- बीज मंत्र: “ॐ श्रां श्रीं श्रौं चन्द्रमसे नमः” या “ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः”।
- सामान्य मंत्र: “ॐ चंद्राय नमः” और “ॐ सोम सोमाय नमः”।
- स्तुति मंत्र: “दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णवसंभवम्। नमामि शशिनं सोमं शम्भोरमुकुट भूषणम्।”
शरद पूर्णिमा पर क्या दान करना चाहिए?
शरद पूर्णिमा पर चावल, गुड़ और घर में बनी खीर का दान करना सबसे शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इन वस्तुओं का दान करने से आर्थिक तंगी दूर होती है और धन में वृद्धि होती है। अनाज दान के अलावा, शरद पूर्णिमा पर वस्त्र दान करना भी शुभ होता है। हालाँकि, लोहे की वस्तुओं का दान करने से बचना चाहिए क्योंकि ये शनि दोष का कारण बन सकती हैं।
शरद पूर्णिमा पर किस रंग के कपड़े पहनने चाहिए?
शरद पूर्णिमा पर सफेद कपड़े पहनने चाहिए। सफेद रंग शांति, पवित्रता और दिव्यता का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि इस शुभ रात्रि में यह अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि को आकर्षित करता है।
Disclaimer: इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।
