Som Pradosh Vrat Katha: इस बार 17 नवंबर को प्रदोष व्रत का संयोग बना है। सोमवार को प्रदोष व्रत होने से ये सोम प्रदोष कहलाएगा। सोमवार को प्रदोष व्रत का संयोग बहुत दुर्लभ माना गया है। कथा सुनने के बाद ही इस व्रत का पूरा फल मिलता है।
Som Pradosh Vrat Katha In Hindi: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व माना गया है। इस व्रत में भगवान शिव की पूजा की जाती है। ये व्रत हर महीने के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है। इस बार 17 नवंबर को अगहन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर ये व्रत किया जाएगा। इस दिन सोमवार होने से ये सोम प्रदोष कहलाएगा। सोम प्रदोष से जुड़ी एक रोचक कथा भी है, जिसे सुनने के बाद ही इस व्रत का पूरा फल मिलता है। आगे पढ़ें सोम प्रदोष की कथा…
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सोम प्रदोष व्रत की कथा (Story of Som Pradosh Vrat)
प्रचलित कथा के अनुसार, किसी नगर में एक गरीब महिला रहती थी। उसके पति की कईं सालों पहले ही मृत्यु हो चुकी थी। उसका एक बेटा भी था। वह स्त्री भीख मांगकर अपना परिवार का गुजारा करती थी।
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एक दिन जब वह भिखारीन स्त्री अपने बेटे के साथ घर लौट रही थी तो रास्ते में उसे एक घायल लड़का दिखाई देगा। महिला उसे अपने साथ ले आई और बेटे के साथ-साथ उसका भी पालन-पोषण करने लगी।
वह लड़का कोई और नहीं बल्कि विदर्भ देश का राजकुमार था, जिसके राज्य पर दुश्मनों ने कब्जा कर लिया उसके पिता को बंदी बना दिया था। राजकुमार जैसे-तैसे वहां से भागकर यहां आ गया था।
राजकुमार ने अपने बारे में किसी को कुछ नहीं बताया। एक दिन जब राजकुमार जंगल में लकड़ी लेने गया तो वहां अंशुमति नाम की गंधर्व कन्या उस पर मोहित हो गई। उसने ये बात अपने पिता को भी बताई।
गंर्धव कन्या के पिता राजकुमार के बारे में जानते थे इसलिए उन्होंने अपनी पुत्री का विवाह उससे करवा दिया। गंधर्वों की सेना लेकर राजकुमार ने अपने देश और पिता को दुश्मनों से आजाद करवा दिया।
राजकुमार ने उस गरीब स्त्री के पुत्र को अपना मुख्य सलाहकार बनाया और धन-धान्य आदि देकर उन्हेंअमीर बना दिया। इस तरह वे सभी लोग विधर्व देश में खुशी-खुशी एक-दूसरे के साथ रहने लगे।
वह गरीब स्त्री भगवान शिव की भक्त थी और हर प्रदोष पर व्रत करती थी। इसी व्रत के प्रभाव से उसे और उसके बेटे को जीवन में हर तरह का सुख प्राप्त हुआ। इसलिए प्रदोष व्रत का विशेष महत्व माना गया है।
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