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Vinayak Chaturthi July 2023: विनायकी चतुर्थी 21 जुलाई को, 19 साल बाद बना है ये संयोग, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
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क्यों खास है सावन अधिक मास की चतुर्थी?
धर्म ग्रंथों के अनुसार, प्रत्येक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi July 2023) का व्रत किया जाता है, इसे वरद चतुर्थी भी कहते हैं। इस दिन भगवान श्रीगणेश की पूजा करने का विधान है। इस बार ये तिथि 21 जुलाई, शुक्रवार को है। इस बार ये व्रत इसलिए खास है क्योंकि ये सावन के अधिक मास की चतुर्थी तिथि है। इसके पहले ये तिथि 19 साल पहले आई थी। इस दिन और भी कई शुभ योग बन रहे हैं। आगे जानिए क्यों खास है ये तिथि, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त व अन्य खास बातें…
19 साल बाद बना है ये शुभ संयोग
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, इस समय सावन का अधिक मास चल रहा है, जो 18 जुलाई से शुरू हुआ है। अधिक मास हर तीसरे साला आता है लेकन सावन का अधिक मास 19 साल बाद आया है। इसके पहसे सावन का अधिक मास साल 2004 में आया था। यानी 19 साल बाद सावन के अधिक मास में विनायकी चतुर्थी का व्रत किया जाएगा।
कौन-कौन से शुभ योग बनेंगे इस दिन?
पंचांग के अनुसार, सावन अधिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 21 जुलाई, शुक्रवार की सुबह 06:58 से शुरू होकर 22 जुलाई, शनिवार की सुबह 09:26 तक रहेगी। इस दिन सिद्धि नाम का शुभ योग रहेगा। साथ ही बुध और सूर्य के एक ही राशि में होने से बुधादित्य नाम का राजयोग भी बनेगा। इन दोनों शुभ योगों में की गई पूजा, व्रत कई गुना ज्यादा फल देने वाले रहेंगे।
जानें पूजा के शुभ मुहूर्त
- सुबह 07:35 AM 09:14 तक
- दोपहर 12:06 से 12:59 तक
- दोपहर 12:33 से 02:12 तक
- दोपहर 05:30 से 07:09 तक
इस विधि से करें सावन अधिमास विनायकी चतुर्थी का व्रत-पूजा (Vinayaki Chaturthi July 2023 Puja Vidhi)
- 21 जून, शुक्रवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत और पूजा का विधिवत संकल्प लें। बिना संकल्प के व्रत-पूजा का संपूर्ण फल नहीं मिलता।
- संकल्प लेने के लिए हाथ में पानी, चावल और फूल लेकर अपनी मनोकामना मन ही मन कहें और व्रत पूर्ण करने के लिए श्रीगणेश से आशीर्वाद मांगे।
- ऊपर बताए गए किसी मुहूर्त में भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा किसी साफ स्थान पर स्थापित करें। उसके सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं।
- इसके बाद भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा को माला पहनाएं और तिलक लगाएं। एक-एक करके दूर्वा, अबीर, गुलाल, चावल रोली, हल्दी आदि चढ़ाते रहें।
- पूजा करते समय ऊं गं गणेशाय नम: मंत्र का जाप करते रहें। अंत में अपनी इच्छा अनुसार भोग लगाएं और आरती करें।
- शाम को जब चंद्रमा उदय हो जाए तो जल से अर्ध्य दें और पूजा करने के बाद ही बाद स्वयं भोजन करें।
भगवान श्रीगणेश की आरती (Lord Ganesha Aarti)
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।