सार

Vinayak Chaturthi June 2024: हर महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान श्रीगणेश के निमित्त व्रत किया जाता है। इसे विनायकी चतुर्थी कहते हैं। इस व्रत का विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है।

 

Kab Hai Vinayaka Chaturthi June 2024: भगवान श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए महीने में कईं व्रत किए जाते हैं, विनायकी चतुर्थी भी इनमेंसे एक है। ये व्रत हर महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाता है। मान्यता है कि ये व्रत करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। जून 2204 में ज्येष्ठ मास का विनायकी चतुर्थी व्रत किया जाएगा। जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त आदि पूरी डिटेल…

कब है ज्येष्ठ मास की विनायकी चतुर्थी? (Vinayak Chaturthi June 2024 Kab hai)
पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 09 जून, रविवार की दोपहर 03:44 से शुरू होगी, जो अगले दिन 10 जून, सोमवार की शाम 04:15 तक रहेगी। चूंकि चतुर्थी तिथि का सूर्योदय 10 जून को होगा, इसलिए इस दिन ज्येष्ठ मास की विनायकी चतुर्थी का व्रत किया जाएगा। इस दिन ध्रुव, प्रजापति और सौम्य नाम के 3 शुभ योग होने से इस व्रत का महत्व और भी बढ़ गया है।

ये हैं ज्येष्ठ विनायकी चतुर्थी के शुभ मुहूर्त (Vinayaka Chaturthi June 2024 Shubh Muhurat)
- सुबह 09:05 से 10:45 तक
- दोपहर 02:06 से 03:47 तक
- शाम 05:27 से 07:08 तक

इस विधि से करें विनायकी चतुर्थी व्रत-पूजा (Vinayaki Chaturthi Puja Vidhi)
- 10 जून, सोमवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत-पूजा का संकल्प लें। दिन भर व्रत के नियमों का पालन करते हुए ऊं गं गणेशाय नम: का जाप करें।
- ऊपर बताए गए किसी एक शुभ मुहूर्त में घर में किसी साफ स्थान पर भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा या चित्र एक बाजोट यानी पटिए के ऊपर स्थापित करें।
- श्रीगणेश की प्रतिमा को तिलक लगाएं, फूलों की माला पहनाएं। शुद्ध घी का दीपक जलाएं। दूर्वा, अबीर, गुलाल, रोली आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाते रहें।
- अंत में अपनी इच्छा अनुसार भगवान श्रीगणेश को भोग लगाएं और भगवान की आरती कर प्रसाद भक्तों में बांट दें। संभव हो तो मंत्र जाप भी कर सकते हैं।
- इस प्रकार जो व्यक्ति विनायकी चतुर्थी का व्रत करता है, उसके अटके हुए सभी काम पूरे हो जाते हैं और घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

भगवान श्रीगणेश की आरती (Lord Ganesha Aarti)
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥


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