Vivah Panchami 2025: अगहन मास में हर साल विवाह पंचमी का पर्व मनाया जाता है। ये उत्सव श्रीराम-सीता के विवाह की खुशी में मनाने की परंपरा है। इस बार ये पर्व नवंबर 2025 के अंतिम सप्ताह में मनाया जाएगा।

Vivah Panchami 2025: वाल्मीकि रामायण के अनुसार अगहन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को भगवान श्रीराम का विवाह देवी सीता से हुआ था। इसलिए हर साल इस तिथि पर श्रीराम-सीता का विवाहोत्सव मनाया जाता है। इसे विवाह पंचमी कहते हैं। इस बार विवाह पंचमी का पर्व 25 नवंबर, मंगलवार को मनाया जाएगा। इस दिन मंदिरों में भगवान श्रीराम-सीता की विशेष पूजा की जाती है व धार्मिक आयोजन भी किए जाते हैं। मान्यता है कि यदि पति-पत्नी विवाह पंचमी पर श्रीराम-सीता की पूजा साथ करें तो उनका वैवाहिक जीवन सुखी बना रहता है। आगे जानिए विवाह पंचमी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि व अन्य खास बातें…

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विवाह पंचमी 2025 शुभ मुहूर्त

सुबह 09:32 से 10:53 तक
सुबह 10:53 से दोपहर 12:13 तक
दोपहर 11:52 से 12:35 तक (अभिजीत मुहूर्त)
दोपहर 12:13 से 01:34 तक
दोपहर 02:55 से 04:15 तक

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इस विधि से करें श्रीराम-सीता की पूजा

- 25 नवंबर, मंगलवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। दिन भर व्रत के नियमों का पालन करें जैसे किसी पर क्रोध न करें, गलत विचार मन में न लाएं आदि।
- ऊपर बताए शुभ मुहूर्त से पहले घर के किसी हिस्से को अच्छी तरह साफ करें और गंगाजल या गौमूत्र छिड़कर उसे पवित्र करें। साथ ही पूजा की पूरी सामग्री एक स्थान पर एकत्रित करके रख लें।
- साफ किए गए स्थान पर लकड़ी की पटिया रख इस पर लाल कपड़े बिछाएं। इस पटिए पर भगवान श्रीराम-सीता की प्रतिमा स्थापित करें। भगवान को तिलक लगाएं, फूलों की माला पहनाएं।
- इसके बाद शुद्ध घी का दीपक भी जलाएं। अबीर, गुलाल, रोली, चावल आदि चीजें एक-एक करके भगवान को चढ़ाएं। भगवान श्रीराम को पीले और सीताजी को लाल वस्त्र अर्पित करें।
- अंत में अपनी इच्छा अनुसार भगवान को भोग लगाएं और आरती करें। इस तरह पूजा करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है और वैवाहिक जीवन में भी खुशहाली बनी रहती है।

भगवान श्रीराम की आरती लिरिक्स हिंदी में

आरती कीजे श्री राम लला की, आरती कीजे श्री राम लला की ।
रघुनंदन संपूर्ण कला की, रघुनंदन संपूर्ण कला की ।।
आरती कीजे श्री राम लला की
नारायण नर बनकर आये, रघुकुल नंदन राम कहाये ।
नारायण नर बनकर आये, रघुकुल नंदन राम कहाये ।
कौशल्या सुत राजिव लोचन, दशरथ सुत हरि भव भय मोचन ।।
आरती कीजे श्री राम लला की
भरत लखन शत्रुघन समेता, प्रगटे अवध में कृपा निकेता ।
भरत लखन शत्रुघन समेता, प्रगटे अवध में कृपा निकेता ।
धनुष बाण दिव्य युद्ध धारी, जनम निरंजन अवध बिहारी ।।
आरती कीजे श्री राम लला की
गुरु वशिष्ठ से विद्या पाये, विश्वामित्र का यज्ञ बचाये ।
गुरु वशिष्ठ से विद्या पाये, विश्वामित्र का यज्ञ बचाये ।
तार अहिल्या मिथिला आये, जनकसुता से ब्याह रचाये ।।
आरती कीजे श्री राम लला की
पिता वचन हित वन को ध्याये, रावण वध कर अवध को आये ।
पिता वचन हित वन को ध्याये, रावण वध कर अवध को आये ।
सिय संग सिंहासन को सजाये, राम राज त्रिभुवन में लाये ।।
आरती कीजे श्री राम लला की
जय जय मर्यादा अवतारी, जय जय धनुष बाण के धारी ।
जय जय मर्यादा अवतारी, जय जय धनुष बाण के धारी ।
जय सीतापति जय असुरारी, जय रघुनायक अवध बिहारी ।।
आरती कीजे श्री राम लला की
राम सिया की आरती पावनी, सकल दोष दुःख ताप ना सावनी ।
राम सिया की आरती पावनी, सकल दोष दुःख ताप ना सावनी ।
शिव अज इंद्र संत मन भावनी, पंच रोग तय ताप मिटावनी ।।
आरती कीजे श्री राम लला की
राम चरण में जो चित लावे, प्रेम भक्ति से गुण यश गावे ।
राम चरण में जो चित लावे, प्रेम भक्ति से गुण यश गावे ।
अक्षय सुख यश वैभव पावे, अंत काल भव से तर जावे ।।
आरती कीजे श्री राम लला की
रघुनंदन संपूर्ण कला की, आरती कीजे श्री राम लला की ।।


Disclaimer
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