सार
Mahesh Navmi 2024 Date: भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कई प्रमुख व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं, महेश नवमी भी इनमें से एक है। ये पर्व हर साल ज्येष्ठ मास में मनाया जाता है। ये पर्व माहेश्वरी समाज से संबंधित है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर महेश नवमी का पर्व मनाया जाता है। महेश भगवान शिव का ही एक नाम है, इसलिए इस पर्व में भगवान शिव की पूजा का विधान है। इस दिन प्रमुख शिव मंदिरों में विशेष आयोजन किए जाते हैं। ये पर्व माहेश्वरी समाज से जुड़ा है, इसलिए इस दिन इस समाज के लोग जुलूस आदि भी निकालते हैं। आगे जानिए साल 2024 में कब है महेश नवमी और इससे जुड़ी खास बातें…
कब है महेश नवमी 2024? (Kab Hai Mahesh Navmi 2024)
पंचांग के अनुसार, इस बार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 14 जून, शुक्रवार की रात 12 बजकर 04 मिनिट से शुरू होगी, जो 15 जून, शनिवार की रात 02 बजकर 32 मिनिट तक रहेगी। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, चूंकि 15 जून, शनिवार को दिन भर ज्येष्ठ शुक्ल नवमी तिथि रहेगी, इसलिए महेश नवमी का व्रत इसी दिन किया जाएगा। महेश नवमी पर कईं शुभ योग भी बनेंगे, जिसके चलते इस व्रत का महत्व और भी बढ़ गया है।
क्यों मनाया जाता है महेश नवमी पर्व? (Mahesh Navmi kI Katha)
- ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर महेश नवमी का पर्व मनाया जाता है। वैसे तो ये पर्व सभी लोग मनाते हैं और इस दिन शिवजी की पूजा भी करते हैं, लेकिन माहेश्वरी समाज में इसका विशेष महत्व है। माहेश्वरी समाज द्वारा इस दिन धार्मिक यात्रा निकाली जाती है व अन्य बड़े आयोजन भी किए जाते हैं।
- इस पर्व से जुड़ी एक कथा है जो इस प्रकार है ‘माहेश्वरी समाज के पूर्वज पहले किसी युग में क्षत्रिय वंश के थे और शासन करते थे। एक दिन माहेश्वरी समाज के राजा से कोई गलती हो गई, जिसके कारण ऋषियों ने उन्हें श्राप दे दिया। इस श्राप से मुक्ति होने के लिए माहेश्वरी समाज के लोगों ने शिवजी की तपस्या की।
- माहेश्वरी समाज के लोगों की तपस्या से प्रसन्न होकर महादेव प्रकट हुए और उन्हें वरदान मांगने को कहा। शिवजी ने उन्हें श्राप मुक्त भी कर दिया और अपना नाम भी दिया। भगवान शिव के महेश नाम पर ही इस समाज के लोगों का नाम माहेश्वर प्रसिद्ध हो गया, जो आज तक चला आ रहा है।
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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।