सार
Kab hai Rama Ekadashi 2024: दीपावली से 4 दिन पहले आने वाली एकादशी को रमा एकादशी कहते हैं। इस एकादशी का धर्म ग्रंथों में विशेष महत्व बताया गया है। जानें इस बार कब करें रमा एकादशी 2024 व्रत?
When is Rama Ekadashi 2024: वैसे तो दीपावली की शुरूआत धनतेरस से मानी जाती है लेकिन कुछ लोग एकादशी तिथि से ही इस पर्व की तैयारियों शुरू कर देते हैं। दीपावली से 4 दिन पहले आने वाली एकादशी को रमा एकादशी कहते हैं। रमा देवी लक्ष्मी का ही एक नाम है। पद्म पुराण आदि कईं ग्रंथों में इस एकादशी का महत्व बताया गया है। आगे जानिए इस बार कब है रमा एकादशी, इसके शुभ मुहूर्त, पूजा विधि सहित पूरी डिटेल…
कब है रमा एकादशी 2024? (When is Rama Ekadashi 2024?)
पंचांग के अनुसार, इस बार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 27 अक्टूबर, रविवार की सुबह 05 बजकर 24 मिनिट से 28 अक्टूबर, सोमवार की सुबह 07 बजकर 51 मिनिट तक रहेगी। शास्त्रों के अनुसार, द्वादशी युक्त एकादशी व्रत के लिए श्रेष्ठ होती है, इसलिए रमा एकादशी का व्रत 28 अक्टूबर, सोमवार को किया जाएगा। इस दिन ब्रह्म, इंद्र, ध्वजा और श्रीवत्स नाम के 4 शुभ योग भी रहेंगे, जिसके चलते इस व्रत का महत्व और भी बढ़ गया है।
रमा एकादशी 2024 पूजा के शुभ मुहूर्त (Rama Ekadashi 2024 Shubh Muhurat)
सुबह 09:22 से 10:46 तक
सुबह 11:48 से दोपहर 12:33 तक
दोपहर 01:34 से 02:58 तक
दोपहर 04:23 से 05:47 तक
कब करें रमा एकादशी व्रत 2024 का पारणा?
रमा एकादशी व्रत का पारणा 29 अक्टूबर, मंगलवार की करें। इसके लिए शुभ मुहूर्त सुबह 06:31 से 08:44 तक रहेगा।
रमा एकादशी व्रत-पूजा की विधि (Rama Ekadashi Vrat Puja Vidhi)
- 28 अक्टूबर, सोमवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद हाथ में जल-चावल लेकर रमा एकादशी व्रत-पूजा का संकल्प लें।
- शुभ मुहूर्त से पहले पूजा की पूरी तैयारी करके रख लें और घर में एक साफ स्थान पर लकड़ी का पटिया यानी बाजोट रखें।
- बाजोट के ऊपर सफेद कपड़ा बिछाकर भगवान श्रीकृष्ण का चित्र रखें। पहले भगवान को कुमकुम से तिलक करें और दीपक लगाएं।
- भगवान को फूलों की माला पहनाएं। अबीर-गुलाल, रोली आदि चीजें चढ़ाएं। ऊँ भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप भी करें।
- भगवान को अपनी इच्छा अनुसार भोग लगाएं, इसमें तुलसी के पत्ते जरूर डालें। इसके बाद भगवान की आरती करें।
- दिन भर संयम पूर्वक रहें यानी किसी के बारे में बुरा न सोचें। गलत विचार मन में न लगाएं। रात में भजन-कीर्तन करें।
- अगली सुबह यानी 29 अक्टूबर को ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और उन्हें दान-दक्षिणा देकर विदा करें, फिर स्वयं भोजन करें।
- इस तरह विधि-विधान से रमा एकादशी का व्रत करने से हर कामना पूरी हो सकती है और जीवन में खुशहाली बनी रहेगी।
रमा एकादशी व्रत की कथा (Rama Ekadashi ki Katha)
- सतयुग में मुचुकुंद नाम के एक राजा थे। उनकी एक पुत्री थी, जिसका नाम चंद्रभागा था। चंद्रभागा का विवाह राजकुमार शोभन से हुआ था।
- एक बार शोभन अपने ससुराल आया, तो उस दिन संयोग से एकादशी तिथि थी। सभी के लिए एकादशी व्रत करना अनिवार्य था। शोभन ने भी ये व्रत किया।
- भूखे और प्यासे रहने के कारण शोभन की मृत्यु हो गई। किसी ने भी इसकी कल्पना नहीं की थी। पति की मृत्यु से चंद्रभागा और राजा मुचुकुंद बहुत दु:खी हुए।
- एकादशी व्रत के प्रभाव से शोभन मंदराचल पर्वत परदेवनगर में रहने लगा। एक बार राजा मुचुकुंद जब मंदराचल गए तो उन्होंने अपने दामाद का वैभव देखा।
- उन्होंने ये बात आकर अपनी पुत्री चंद्रभागा को बताई। पिता से आज्ञा लेकर चंद्रभागा भी शोभन के पास चली गई और दोनों पति-पत्नी सुख पूर्वक रहने लगे।
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