सार
Dhanteras Deepdan 2024 Shubh Muhurat: धर्म ग्रंथों के अनुसार धनतेरस की शाम को यमराज को प्रसन्न करने के लिए दक्षिण दिशा में एक दीपक जलाना चाहिए। इससे अकाल मृत्यु से बचा जा सकता है। इससे जुड़ी एक कथा भी पुराणों में है।
Dhanteras 2024 Deepdan Vidhi-Mantra: दीपावली उत्सव 5 दिनों तक मनाया जाता है। सबसे पहले दिन धनतेरस का पर्व मनाते हैं। इस बार धनतेरस 29 अक्टूबर, मंगलवार को है। धनतेरस की शाम को यमराज को प्रसन्न करने के लिए दीपदान करने की परंपरा है। कहते हैं कि ऐसा करने से परिवार में किसी की अकाल मृत्यु नहीं होती। इससे जुड़ी कथा, मंत्र आदि भी धर्म ग्रंथों में मिलते हैं। आगे जानिए इससे जुड़ी पूरी डिटेल…
धनतेरस पर दीपदान के लिए मुहूर्त (Dhanteras 2024 Deepdan Shubh Muhurat)
धनतेरस पर शाम को प्रदोष काल में यमराज के लिए दीपदान किया जाता है। 29 अक्टूबर, मंगलवार को प्रदोष काल शाम 05 बजकर 38 मिनिट से शुरू होगा, जो 06 बजकर 55 मिनिट तक रहेगा। यानी दीपदान के लिए आपको पूरे 1 घंटे 17 मिनिट का समय मिलेगा। इस दौरान आप कभी भी दीपदान कर सकते हैं।
धनतेरस पर दीपदान की विधि-मंत्र (Dhanteras 2024 Deepdan Vidhi-Mantra)
- 29 अक्टूबर यानी धनतेरस की शाम ऊपर बताए गए शुभ मुहूर्त में मिट्टी का एक बड़ा दीपक लेकर लें। इसमें रूई को 2 बड़ी बत्तियां लेकर इस तरह रखें कि दीपक के बाहर बत्तियों के चार मुहं दिखाई दें।
- इस दीपक में तिल का तेल डालें और ऊपर से थोड़े काले तिल भी जरूर डालें। रोली, चावल और फूलों से इस दीपक की पूजा करें। दीप को दक्षिण दिशा में रखकर ये मंत्र बोलते हुए जलाएं…
मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन च मया सह।
त्रयोदश्यां दीपदनात् सूर्यज: प्रीयतामिति।।
- हाथ में फूल लें और नीचे लिखा मंत्र बोलते हुए यमराज को नमस्कार करते हुए ये फूल दीपक के पास छोड़ दें-
ऊं यमदेवाय नम:। नमस्कारं समर्पयामि।।
- इसके बाद नीचे लिखा मंत्र बोलते हुए एक बताशा या मिठाई दीपक के पास रख दें-
ऊं यमदेवाय नम:। नैवेद्यं निवेदयामि।।
- हाथ में जल लेकर नीचे लिखा मंत्र बोलते हुए दीपक के पास छोड़ दें-
ऊं यमदेवाय नम:। आचमनार्थे जलं समर्पयामि।
- एक बार फिर से ऊं यमदेवाय नम: बोलें और दक्षिण दिशा में नमस्कार करें। धनतेरस पर इस प्रकार दीपदान करने से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता।
क्यों करते हैं धनतेरस पर दीपदान? (Kyo Karte Hai Dhanteras par Deepdaan)
- पुराणों में धनतेरस पर दीपदान करने की परंपरा काफी पुरानी है। इससे जुड़ी एक कथा भी है जो इस प्रकार है- एक बार यमराज ने यमदूतों से पूछा ‘तुम रोज हजारों लोगों के प्राण लेकर आते हो, क्या कभी तुम्हें किसी पर दया नहीं आई?’
यमराज की बात सुनकर यमदूत बोलें ‘मृत्यु लोक पर हेम नाम का एक राजकुमार था। उसके जन्म होने पर ज्योतिषियों ने उसके पिता को बताया कि जब भी बालक विवाह करेगा, उसके चार दिन इसकी मृत्यु हो जाएगी।’
‘राजा ने अपने बालक के प्राण बचाने के लिए उसे एक गुफा में रखकर बड़ा किया। वहां तक पहुंचना बहुत मुश्किल था। मगर एक दिन राजा हंस की बेटी यमुना तट पर घूमते-घूमते उस गुफा में पहुंच गई। राजकुमार ने ने मोहित होकर उससे गंधर्व विवाह कर लिया।’
‘ज्योतिषी के कहे अनुसार विवाह के चौथे दिन ही राजकुमार हंस की मृत्यु हो गई। युवा पति की मृत्यु देख उसकी पत्नी जोर-जोर से रोने लगी। उस राजकुमार के प्राण हरण करते समय हमें बहुत दुख हुआ था।‘
तभी एक यमदूत ने यमराज से पूछा ‘क्या अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय नहीं है?’ यमराज ने कहा ‘अगर कोई व्यक्ति धनतेरस की शाम को मेरे निमित्त दीपदान करें तो उसे और उसके परिवार के किसी भी सदस्य को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा।’
इसलिए धनतेरस की शाम को यमराज के लिए दीपदान की परंपरा चली आ रही है।
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