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Baby Shower: किस परंपरा का आधुनिक रूप है बेबी शावर, बच्चे के लिए ये क्यों जरूरी है? ये 5 बातें सभी को जानना चाहिए

Simantonnayana Sanskar: हिंदू धर्म में 16 संस्कार निभाए जाते हैं। इनमें से कुछ संस्कार तो मां के गर्भ में ही पूरे कर लिए जाते हैं। ऐसा ही एक संस्कार है सीमन्तोन्नयन, जिसे वर्तमान में गोदभराई और बेबी शावर के नाम से जाना जाता है। 

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Manish Meharele
Published : Mar 11 2023, 06:00 AM IST
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जानें गोदभराई और सीमन्तोन्नयन संस्कार से जुड़ी खास बातें...
Image Credit : Getty

जानें गोदभराई और सीमन्तोन्नयन संस्कार से जुड़ी खास बातें...

कुछ समय पहले तो जो परंपरा गोदभराई (Godbharai Tradition) के नाम से जानी जाती है, उसे अब बेवी शावर (Baby Shower) कहा जाने लगा है। इस परंपरा का नाम भले ही बदल गया है, लेकिन ये आज भी हिंदुओं के 16 संस्कारों में से एक है। धर्म ग्रंथों में इस संस्कार का नाम सीमन्तोन्नयन (Simantonnayana Sanskar) बताया गया है। मां के गर्भ में रहते हुए ही शिशु से संबंधित ये संस्कार पूरा कर लिया जाता है। ये संस्कार क्यों करते हैं, इसके क्या फायदे होते हैं? आगे जानिए…
 

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कब किया जाता है सीमन्तोन्नयन संस्कार?
Image Credit : Getty

कब किया जाता है सीमन्तोन्नयन संस्कार?

हिंदू धर्म के अनुसार, सीमन्तोन्नयन संस्कार गर्भकाल के 7वे या 8वें महीने में किया जाता है। तक तक शिशु के शरीर का पूरा विकास हो चुका होता है और वह हिलने-डुलने लगता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस समय तक गर्भस्थ शिशु में सोचने की क्षमता भी विकसित हो चुकी होती है और वह अपने आस-पास हो रही घटनाओं को महूसस कर सकता है और बातों को सुन सकता है।

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क्यों जरूरी है सीमन्तोन्नयन संस्कार?
Image Credit : Getty

क्यों जरूरी है सीमन्तोन्नयन संस्कार?

धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस संस्कार के करने से गर्भस्थ शिशु को बल मिलता है। इस दौरान अनेक मंत्रों द्वारा गर्भ में पल रहे बच्चे को संस्कारित किया जाता है। ऐसा करने से उस बालक को ग्रहों की अनुकूलता मिलती है और यदि कोई अशुभ योग बन रहा होता है तो उसका प्रभाव भी खत्म हो जाता है। पुरातन समय में यह संस्कार गर्भस्थ शिशु के लिए बहुत ही आवश्यक माना जाता था।
 

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इस समय माता को क्यों सुनाते हैं धर्म ग्रंथ?
Image Credit : Asianet News

इस समय माता को क्यों सुनाते हैं धर्म ग्रंथ?

गर्भकाल के 8वें महीने से परंपरा अनुसार, माता को धर्म ग्रंथ पढ़ने या मंत्र जाप करने के लिए कहा जाता है। या फिर कोई और गर्भवती महिला को पास बैठाकर ग्रंथों का पाठ कर उसे सुनाता है। मान्यता है कि इस समय माता जो कुछ सुनती है, वो आवाज गर्भस्थ शिशु तक भी पहुंचती है। गर्भ में पल रहा संस्कारवान हो, इसके लिए सीमन्तोन्नयन संस्कार के बाद गर्भवती महिलाओं को धार्मिक आचरण करने पर बल दिया जाता है।

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इन बच्चों में गर्भ से ही थे अद्भुत गुण
Image Credit : google

इन बच्चों में गर्भ से ही थे अद्भुत गुण

धर्म ग्रंथों के अनुसार, जब भक्त प्रह्लाद अपनी माता के गर्भ में थे, उसी दौरान वे भगवान विष्णु का निरंतर ध्यान करती रहती थी, इसी के फल स्वरूप प्रह्लाद जन्म से ही भगवान विष्णु का परम भक्त था। ऐसी ही एक घटना महाभारत काल में हुई, जब भगवान श्रीकृष्ण अपनी बहन सुभद्रा को चक्रव्यूह में घुसने का तरीका बता रहे हैं तो उस दौरान उनके गर्भ में पल रहे अभिमन्यु ने भी ये विधा सीख ली थी।
 

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सीमन्तोन्नयन संस्कार में माता को देते हैं ये खास चीजें
Image Credit : Getty

सीमन्तोन्नयन संस्कार में माता को देते हैं ये खास चीजें

जब सीमन्तोन्नयन संस्कार किया जाता है, जिसे गोदभराई भी कहते हैं के दौरान गर्भवती महिला को कुछ खास चीजें दी जाती हैं जैसे काजू, बादाम, खोपरा आदि। इसके पीछे ये अर्थ रहता है कि माता जब ये चीजें खाएगी तो इसका शुभ प्रभाव गर्भ में पल रहे शिशु पर भी होगा और उसे पर्याप्त पोषण मिलेगा।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें। आर्टिकल पर भरोसा करके अगर आप कुछ उपाय या अन्य कोई कार्य करना चाहते हैं तो इसके लिए आप स्वतः जिम्मेदार होंगे। हम इसके लिए उत्तरदायी नहीं होंगे।





 

About the Author

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Manish Meharele
मनीष मेहरेले। मीडिया जगत में इनके पास 19 साल से ज्यादा का अनुभव है। वर्तमान समय में ये एशियानेट न्यूज हिंदी के साथ जुड़कर धर्म-आध्यात्म बीट पर काम कर रहे हैं। करियर की शुरुआत इन्होंने स्थानीय अखबार दैनिक अवंतिका से की थी। इसके बाद वह दैनिक भास्कर प्रिंट उज्जैन में वाणिज्य डेस्क प्रभारी रहे और 2010-2019 तक दैनिक भास्कर डिजिटल में धर्म डेस्क पर काम किया। इन्हें महाभारत, रामायण जैसे धार्मिक ग्रंथों का अच्छा ज्ञान है। इनके पास जीव विज्ञान में बीएससी स्नातक की डिग्री है।

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