शंख बजाने के हैं अद्भुत फायदे लेकिन ये सावधानी भी है जरूरी
| Published : Sep 07 2024, 05:41 PM IST
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शंख प्रकृति का दिया एक अद्भुत उपहार है। समुद्र को अपने अंदर समेटे हुए एक छोटा सा घड़ा। ऐसा इसलिए क्योंकि इसे कान में लगाने पर समुद्र की आवाज सुनाई देती है। इसे केवल सजावटी वस्तु न समझकर स्वास्थ्य के लिए लाभदायक वस्तु भी माना जा सकता है। शंख बजाने से हमें अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।
हिंदू धर्म में शंख का महत्वपूर्ण स्थान है। हिंदू पुराणों में भगवान विष्णु के प्रतीक चिन्ह के रूप में शंख को माना जाता है। इतना ही नहीं बौद्ध धर्म में पाए जाने वाले पवित्र चिह्नों में शंख का भी स्थान है। इतने सारे प्रतीकों और लाभों के बावजूद आजकल बहुत कम लोग इसका उपयोग करते हैं। केवल पूजा-पाठ, आरती आदि धार्मिक कार्यों में ही शंख का उपयोग किया जाता है। मान्यता है कि शंख के बिना कोई भी पूजा पूर्ण नहीं होती है।
भगवान कृष्ण का भी शंख से संबंध बताया जाता है। शंख से निकलने वाली ध्वनि हमारे आसपास की नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण करती है। शंख को केवल भगवान का प्रतीक मानकर ही नहीं रुकना चाहिए बल्कि इसके स्वास्थ्य लाभों को जानकर हम कई तरह से लाभान्वित हो सकते हैं। रोजाना कुछ मिनट शंख बजाने से शरीर में कई अद्भुत बदलाव आते हैं। इस लेख में जानते हैं कि वे बदलाव क्या हैं।
शंख बजाने के लाभ:
शंख बजाने से आपका मूत्र मार्ग संक्रमण से सुरक्षित रहता है। मूत्राशय, पेट, डायाफ्राम, छाती, गर्दन आदि की मांसपेशियों को स्वस्थ रखने के लिए शंख बजाना एक अच्छा व्यायाम है।
क्या आप यकीन करेंगे कि शंख बजाने से गुदा की मांसपेशियां मजबूत होती हैं? पर यह सच है। आपके रोजाना शंख बजाने से गुदा की मांसपेशियों का अच्छा व्यायाम होता है। इससे वे मजबूत बनती हैं। यह कई कारणों से गुदा के कमजोर होने से रोकता है।
शंख बजाने वालों के प्रोस्टेट ग्रंथि पर दबाव पड़ता है। इससे प्रोस्टेट का बढ़ना रुक जाता है। प्रोस्टेट को स्वस्थ रखने के लिए रोजाना शंख बजा सकते हैं।
शंख बजाते समय हम मुंह को सिकोड़कर फूंक मारते हैं। इससे फेफड़े की मांसपेशियां फैलती हैं और अच्छी तरह काम करती हैं। इससे श्वसन क्रिया दुरुस्त रहती है।
पर्सनालिटी हार्मोन थायराइड ग्रंथियों को सक्रिय रखने के लिए शंख बजाते रहना चाहिए
यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि स्वर यंत्र को मजबूत बनाने के लिए शंख बजाना एक बेहतरीन व्यायाम है। इससे आपको स्पष्ट और मधुर आवाज मिलती है।
शंख बजाते समय हमारी मांसपेशियां अच्छी तरह काम करती हैं। हवा को लाभकारी तरीके से बाहर निकालना आपके चेहरे की मांसपेशियों को गतिमान बनाने में मदद करता है। इसलिए रोजाना शंख बजाने वालों के चेहरे पर झुर्रियां नहीं पड़ती हैं।
शंख बजाने वालों के लिए सावधानी:
शंख बजाते समय हमेशा बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। लापरवाही से शंख बजाने से आपके अंगों को नुकसान पहुंच सकता है। कान, आंख आदि अंगों की मांसपेशियां प्रभावित हो सकती हैं। कान के पर्दे (डायफ्राम) को नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए आप खुद शंख बजाने की कोशिश न करें, बल्कि पहले से ही इस कला में निपुण किसी व्यक्ति से इसे बजाना सीखें।
कुछ लोग नाक से सांस नहीं ले पाते हैं। इसका कारण सर्दी-जुकाम, फेफड़ों का कमजोर होना आदि श्वसन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। लेकिन नाक से सांस न लेकर मुंह से सांस लेना सही तरीका नहीं है। इस तरह मुंह से ली जाने वाली हवा पेट में चली जाती है। मुंह से सांस लेने पर ध्यान देकर इसे रोकना चाहिए। खासतौर पर शंख बजाने वालों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे नाक से ही सांस अंदर खींच रहे हैं।
शंख बजाते समय अंगों पर अधिक दबाव पड़ता है। इस कारण कुछ लोगों को शंख बजाने से परहेज करने की सलाह दी जाती है। उच्च रक्तचाप, हर्निया, आंखों में दबाव की बीमारी वाले लोगों को शंख नहीं बजाना चाहिए।