सार

Bajrang Baan: इस बार हनुमान जयंती का पर्व 6 अप्रैल, गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन बजरंग बाण का पाठ किया करना बहुत ही शुभ माना जाता है। बजंरग बाण हनुमानजी की ही स्तुति है। इसका पाठ करने से सभी दुख दूर होते हैं।

 

उज्जैन. वैसे तो हर महीने की पूर्णिमा तिथि बहुत ही खास होती है, लेकिन इन सभी में चैत्र मास की पूर्णिमा बहुत ही खास होती है क्योंकि इस दिन हनुमान जयंती (hanuman jayanti 2023) का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 6 अप्रैल, गुरुवार को है। इस दिन अगर कुछ खास उपाय किए जाएं तो हर तरह की परेशानी दूर हो सकती है। इस दिन बजंरग बाण (Bajrang Baan) का पाठ करना अति शुभ रहता है। आगे जानिए बजंरग बाण का पाठ कैसे करें…

दोहा
निश्चय प्रेम प्रतीत ते, विनय करें सनमान ॥
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान ॥

इस विधि से करें बजरंग बाण का पाठ…
- सुबह स्नान आदि करने के बाद साफ कपड़ें पहनकर हनुमानजी की पूजा करें।
- हनुमानजी को अबीर, गुलाल, रोली, लाल फूल आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाएं।
- इसके बाद गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाएं जो पाठ के अंत तक जलता रहे।
- शुद्ध घी के चूरमे या गुड़-चने का भोग लगाएं। इसके बाद बजरंग बाण का पाठ करें।

चौपाई
जय हनुमंत संत हितकारी ॥ सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ॥1॥
जन के काज विलम्ब न कीजै ॥ आतुर दौरि महा सुख दीजै ॥2॥
जैसे कूदि सुन्धु वहि पारा ॥ सुरसा बद पैठि विस्तारा ॥3॥
आगे जाई लंकिनी रोका ॥ मारेहु लात गई सुर लोका ॥4॥
जाय विभीषण को सुख दीन्हा ॥ सीता निरखि परम पद लीन्हा ॥5॥
बाग उजारी सिंधु महं बोरा ॥ अति आतुर जमकातर तोरा ॥6॥
अक्षय कुमार मारि संहारा ॥ लूम लपेट लंक को जारा ॥7॥
लाह समान लंक जरि गई ॥ जय जय धुनि सुरपुर में भई ॥8॥
अब विलम्ब केहि कारण स्वामी ॥ कृपा करहु उन अन्तर्यामी ॥9॥
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता ॥ आतुर होय दुख हरहु निपाता ॥10॥
जै गिरिधर जै जै सुखसागर ॥ सुर समूह समरथ भटनागर ॥11॥
जय हनु हनु हनुमंत हठीले ॥ बैरिहि मारु बज्र की कीले ॥12॥
गदा बज्र लै बैरिहिं मारो ॥ महाराज प्रभु दास उबारो ॥13॥
ॐ कार हुंकार महाप्रभु धावो ॥ बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो ॥14॥
ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा ॥ ॐ हुं हुं हनु अरि उर शीशा ॥15॥
सत्य होहु हरि शपथ पाय के ॥ रामदूत धरु मारु जाय के ॥16॥
जय जय जय हनुमंत अगाधा ॥ दुःख पावत जन केहि अपराधा ॥17॥
पूजा जप तप नेम अचारा ॥ नहिं जानत हौं दास तुम्हारा ॥18॥
वन उपवन, मग गिरि गृह माहीं ॥ तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं ॥19॥
पांय परों कर जोरि मनावौं ॥ यहि अवसर अब केहि गोहरावौं ॥20॥
जय अंजनि कुमार बलवन्ता ॥ शंकर सुवन वीर हनुमंता ॥21॥
बदन कराल काल कुल घालक ॥ राम सहाय सदा प्रति पालक ॥22॥
भूत प्रेत पिशाच निशाचर ॥ अग्नि बेताल काल मारी मर ॥23॥
इन्हें मारु तोहिं शपथ राम की ॥ राखु नाथ मरजाद नाम की ॥24॥
जनकसुता हरि दास कहावौ ॥ ताकी शपथ विलम्ब न लावो ॥25॥
जय जय जय धुनि होत अकाशा ॥ सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा ॥26॥
चरण शरण कर जोरि मनावौ ॥ यहि अवसर अब केहि गौहरावौं ॥27॥
उठु उठु उठु चलु राम दुहाई ॥ पांय परों कर ज़ोरि मनाई ॥28॥
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता ॥ ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता ॥29॥
ॐ हं हं हांक देत कपि चंचल ॥ ॐ सं सं सहमि पराने खल दल ॥30॥
अपने जन को तुरत उबारो ॥ सुमिरत होय आनन्द हमारो ॥31॥
यह बजरंग बाण जेहि मारै ॥ ताहि कहो फिर कौन उबारै ॥32॥
पाठ करै बजरंग बाण की ॥ हनुमत रक्षा करैं प्राण की ॥33॥
यह बजरंग बाण जो जापै ॥ ताते भूत प्रेत सब कांपै ॥34॥
धूप देय अरु जपै हमेशा ॥ ताके तन नहिं रहै कलेशा ॥35॥

दोहा
प्रेम प्रतीतहि कपि भजै, सदा धरैं उर ध्यान ॥
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्घ करैं हनुमान ॥



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