Bhadrapad Month Vrat Tyohar: हिंदू पंचांग का छठा महीना भाद्रपद कहलाता है। इस महीना का महत्व अनेक धर्म ग्रंथों में बताया गया है। इस महीने में जन्माष्टमी, जलझूलनी एकादशी और गणेश उत्सव आदि कईं प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं।

Bhadrapad Month 2025 Vrat Tyohar List: अंग्रेजी कैलेंडर की तरह हिंदू पंचांग में भी 12 महीने होते हैं। हिंदू पंचांग के छठे महीने का नाम भाद्रपद है। इसे भादौ भी कहते हैं। इस महीने का महत्व अनेक पुराणों में मिलता है। इस महीने के अंतिम चंद्रमा उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में होता है, इसलिए इस महीने का नाम हमारे विद्वानों ने भाद्रपद रखा है। इस बार भाद्रपद मास की शुरूआत 10 अगस्त, रविवार से हो रही है जो 7 सितंबर, रविवार तक रहेगा। इस महीने में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, जलझूलनी एकादशी सहित कईं प्रमुख व्रत-त्योहार मनाए जाएंगे। आगे जानिए भाद्रपद 2025 के प्रमुख व्रत-त्योहारों की डिटेल…

भाद्रपद मास 2025 के व्रत-त्योहारों की डिटेल

10 अगस्त, रविवार- कजलिया
12 अगस्त, मंगलवार- अंगारक गणेश चतुर्थी, कजरी तीज
13 अगस्त, बुधवार- गोगा पंचमी
14 अगस्त, गुरुवार- हलषष्ठी
16 अगस्त, शनिवार- श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
17 अगस्त, रविवार- गोगा नवमी
19 अगस्त, मंगलवार- जया एकादशी
20 अगस्त, बुधवार- गोवत्स द्वादशी, प्रदोष व्रत, बछबारस
21 अगस्त, गुरुवार- मासिक शिवरात्रि, शिव चतुर्दशी व्रत
22 अगस्त, शुक्रवार- श्राद्ध अमावस्या
23 अगस्त, शनिवार- कुशग्रहणी अमावस्या
24 अगस्त, रविवार- तान्हा पोला
25 अगस्त, सोमवार- वराह अवतार, बाबू दूज
26 अगस्त, मंगलवार- हरतालिका तीज
27 अगस्त, बुधवार- गणेश चतुर्थी उत्सव आरंभ
28 अगस्त, गुरुवार- ऋषि पंचमी
29 अगस्त, शुक्रवार- मोरयाई छठ
30 अगस्त, शनिवार- संतान साते, मुक्ताभरण सप्तमी, महालक्ष्मी व्रत आरंभ
31 अगस्त, रविवार- राधा अष्टमी, दूर्वा अष्टमी
2 सितंबर, मंगलवार- तेजा दशमी
3 सितंबर, बुधवार- डोल ग्यारस, जलझूलनी एकादशी
4 सितंबर- गुरुवार- भगवान वामन प्रकटोत्सव
5 सितंबर, गुरुवार- ओनम, प्रदोष व्रत
6 सितंबर, शनिवार- अनंत चतुर्दशी
7 सितंबर, रविवार- स्नान-दान पूर्णिमा, पितृ पक्ष आरंभ

कब से कब रहेगा गणेश उत्सव 2025?

भाद्रपद मास में ही 10 दिवसीय गणेश उत्सव मनाया जाता है। इस बार गणेश उत्सव की शुरूआत 27 अगस्त से होगी, जो 6 सितंबर तक मनाया जाएगा। इन 10 दिनों में घर-घर में गणेश प्रतिमाओं की स्थापना होगी और रोज पूजा-अर्चना की जाएगी। पहले किसी समय में गणेश उत्सव सिर्फ एक ही दिन मनाया जाता है। बाद में बाल गंगाधर तिलक ने इस त्योहार को 10 दिन मनाने की परंपरा शुरू की, जो आज तक जारी है।


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