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Buddha Purnima 2023: कहां हुआ था महात्मा बुद्ध का जन्म और कहां मृत्यु, कहां प्राप्त हुआ था ज्ञान और कहां दिया था पहला उपदेश?
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ये हैं गौतम बुद्ध से जुड़े 4 प्रसिद्ध स्थान...
वैशाख मास की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima 2023) का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 5 मई, शुक्रवार को है। कुछ ग्रंथों में बु्द्ध को भगवान विष्णु का अवतार भी कहा गया है। मान्यताओं के अनुसार, इसी तिथि पर भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था और इसी दिन इन्हें ज्ञान की प्राप्ति भी हुई थी। भगवान बुद्ध से जुड़े कई स्थान आज भी लोगों की आस्था का केंद्र हैं। बुद्ध पूर्णिमा के मौके पर जानें भगवान बुद्ध से जुडे़ कुछ ऐसे ही स्थानों के बारे में…
यहां हुआ था भगवान बुद्ध का जन्म (Lumbini of Nepal)
भगवान बुद्ध का जन्म नेपाल में हुआ था, ये बात तो सभी जानते हैं, लेकिन ये बहुत कम लोगों को पता है कि इस स्थान को यूनेस्कों ने विश्व विरासत सूची में शामिल किया हुआ है। ये स्थान पर नेपाल का लुंबिनी। बुद्ध के पिता शुद्धोधन इसी राज्य के राजा थे। यहां भगवान बुद्ध की माता मायादेवी का प्रसिद्ध मंदिर भी है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं।
यहां हुई थी बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति (Bodh Gaya Bihar)
भगवान बुद्ध ज्ञान की प्राप्ति के लिए कई सालों तक इधर-उधर भटकते रहे। उन्होंने कई स्थानों पर तपस्या भी की। ज्ञान की तलाश में भटकते-भटकते वे बिहार के बोधगया पहुंच गए। यहां एक बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्त हुई। ये स्थान आज भी बौद्ध तीर्थ के रूप में जाना जाता है। यहां जो मंदिर स्थित है, उसे सम्राट अशोक ने बनवाया है। ये स्थान भी यूनिस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल है।
बुद्ध ने यहां दिया था पहला उपदेश (Sarnath Uttar Pradesh)
भगवान बुद्ध से जुड़ा एक अन्य स्थान काशी से लगभग 10 किमी दूर है। मान्यता है कि भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश यहीं दिया था। इस स्थान का नाम है सारनाथ। इसे भी बुद्ध से जुड़े सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है। यहां स्थापित स्तूप का निर्माण सम्राट अशोक ने करवाया था। यहां दिए गए बुद्ध के पहले उपदेश को धर्म चक्र प्रवर्तन के नाम से जाना जाता है।
यहां प्राप्त हुआ था बुद्ध को निर्वाण (Kushi Nagar Uttar Pradesh)
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से लगभग 50 किमी दूर है कुशी नगर। मान्यता है कि यही वो स्थान है जहां महात्मा बुद्ध को निर्वाण प्राप्त हुआ था यानी उनकी मृत्यु हुई थी। बुद्ध ने अपना अंतिम समय भी यहीं बिताया था। ये स्थान भी बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों के लिए काफी विशेष है। रोज बौद्ध धर्म के अनुयायी दूर-दूर से यहां आते हैं।
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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें। आर्टिकल पर भरोसा करके अगर आप कुछ उपाय या अन्य कोई कार्य करना चाहते हैं तो इसके लिए आप स्वतः जिम्मेदार होंगे। हम इसके लिए उत्तरदायी नहीं होंगे।