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 भारत के महान पंडितों में आचार्य चाणक्य एक हैं। इन्होंने मानव जीवन से जुड़े हर पहलू पर अपने विचार दिए हैं। ये विचार बेहद सरल और स्पष्ट होते हैं। इसलिए उनकी बातों को उस समय जितनी अहमियत दी जाती थी, आज भी उतनी ही दी जाती है। खासतौर पर चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में हमारे स्वास्थ्य से जुड़ी कई बातों का जिक्र किया है।

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इनमें दिन में सोने से होने वाली समस्याओं के बारे में भी उन्होंने एक श्लोक में बताया है। हम में से कई लोग दोपहर में खाना खाने के बाद ज़रूर सोते हैं। लेकिन चाणक्य नीति के अनुसार, यह आदत बिल्कुल भी अच्छी नहीं है। क्यों कहा है ऐसा, आइए जानते हैं। 

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चाणक्य नीति के अनुसार, दोपहर में सोने से होने वाली समस्याएं

नौकरी छूट सकती है

चाणक्य नीति के अनुसार, जो लोग दोपहर में सोते हैं, वे दूसरों की तुलना में कम काम करते हैं। इससे उनकी नौकरी जा सकती है। ऐसे लोग समय बर्बाद करने के अलावा जीवन में कुछ नहीं करते। ऐसे लोगों को कई बार पैसों का भी नुकसान उठाना पड़ सकता है। चाणक्य नीति के अनुसार, बीमार व्यक्ति, गर्भवती महिलाएं और छोटे बच्चों वाले लोग ही दोपहर में सो सकते हैं। चाणक्य के अनुसार, केवल इन्हीं लोगों को दिन में सोने का अधिकार है। अगर आप स्वस्थ हैं, तो अपने जीवन के हर पल का सदुपयोग करें। दोपहर में सोने से समय बहुत बर्बाद होता है। 
 

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बीमारियों का खतरा बढ़ता है

आचार्य चाणक्य के अनुसार, दोपहर में सोने से बीमार होने का खतरा भी रहता है। दोपहर में सोने से गैस, एसिडिटी, अपच जैसी पेट से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए डॉक्टर भी कहते हैं कि दोपहर में सोना सेहत के लिए अच्छा नहीं है। दोपहर में 10 से 15 मिनट की पावर नैप लेने से कोई समस्या नहीं होती। लेकिन अगर आप 2 से 3 घंटे सोते हैं, तो आपकी सेहत खराब हो सकती है। दोपहर में सोने से न केवल पेट से जुड़ी समस्याएं होती हैं, बल्कि रात में भी नींद नहीं आती। 
 

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उम्र कम होती है

दोपहर में सोने से आपकी उम्र कम हो सकती है, ऐसा आचार्य चाणक्य मानते थे। इस बात को चाणक्य ने "आयुक् तयी दिव निद्रा" श्लोक के जरिए बताया है। इस श्लोक का अर्थ है कि दोपहर में सोने से उम्र घटती है। आचार्य चाणक्य का मानना था कि भगवान इंसान की हर सांस गिनते हैं और सोते समय इंसान तेजी से सांस लेता है। इसलिए दोपहर में सोने वालों की उम्र घटने लगती है। 
 

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शरीर में ऊर्जा कम होती है

आचार्य चाणक्य के अनुसार, दोपहर में सोने से शरीर में ऊर्जा का स्तर कम हो जाता है। क्या आप जानते हैं? दोपहर में सोने से आलस्य आता है। साथ ही शरीर में ऊर्जा कम होने लगती है। इसलिए ऐसे लोग दोपहर के बाद कोई काम नहीं करना चाहते। लेकिन यह उनके करियर को बर्बाद कर देता है। चाणक्य नीति के अनुसार, दोपहर में सोने वालों में आत्म-अनुशासन की भावना कम हो जाती है। इससे उनके काम और जिम्मेदारियों पर सीधा असर पड़ता है।