Lunar Eclipse 7 September: रविवार 7 सितंबर से पितृपक्ष की शुरुआत हो गई है। इसी के साथ रात को चंद्रग्रहण भी पड़ना है। ये पूर्ण चंद्रग्रहण होगा, जिसकी शुरुआत रात 9.58 से होगी और मोक्ष देर रात 1.26 पर होगा। 

Chandra Grahan today: 2025 का दूसरा आखिरी चंद्र ग्रहण 7 सितंबर की रात 9 बजकर 58 मिनट से शुरू होगा, जो रात 1 बजकर 26 मिनट तक चलेगा। रात करीब 11.42 बजे कुछ समय के लिए चंद्रमा पूरी तरह ढंक जाएगा। बता दें कि सूतक की शुरुआत दोपहर 12 बजकर 57 मिनट से हो चुकी है। सूतक काल और ग्रहण के दौरान किसी भी तरह का शुभ काम वर्जित है। चंद्रग्रहण के मौके पर आइए जानते हैं चंद्रमा से जुड़े 10 अमेजिंग फैक्ट्स।

1- चंद्रमा पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है, जो धरती से करीब 3.84 लाख किलोमीटर दूर है। इसका अपना कोई प्रकाश नहीं है। सूर्य के प्रकाश को परावर्तित करके ये चमकता है।

2- पृथ्वी से हम चंद्रमा का सिर्फ एक ही हिस्सा देख पाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि उसे पृथ्वी का एक चक्कर लगाने और खुद घूमने में लगभग समान समय (लगभग 27.3 दिन) लगता है। इसके चलते हमें चंद्रमा का एक हिस्सा ही दिखाई पड़ता है।

ये भी पढ़ें : Chandra Grahan 2025: सूतक से पहले खाने-पीने की चीजों में क्यों रखते हैं तुलसी?

3- चंद्रमा का वह भाग जो हमें दिखाई नहीं देता, उसकी तस्वीर सबसे पहले 1959 में सोवियत संघ और उनके लूना 3 मॉड्यूल द्वारा खींची गई थी।

4- चंद्रमा पर कोई वायुमंडल, जलमंडल या महत्वपूर्ण चुंबकीय क्षेत्र नहीं है, जिसके चलते दिन में इसका तापमान (180°C) और रात में (-153°C) तक पहुंच जाता है। इसके चलते यहां जीवन संभव नहीं है। चंद्रमा हर साल पृथ्वी से करीब 3.78 सेंटीमीटर दूर जा रहा है।

5- चंद्रमा पर गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का लगभग 1/6 वां हिस्सा है। यानी धरती पर अगर किसी शख्स का वजन 120 किलो है तो चंद्रमा पर वो महज 20 किलो का होगा।

6- पृथ्वी से चंद्रमा के सबसे नजदीकी हिस्से पर 1 KM से अधिक व्यास वाले 3,00,000 से ज्यादा क्रेटर (गड्ढे) पाए गए हैं। चंद्रमा पर खोजा गया अब तक का सबसे बड़ा क्रेटर दक्षिणी ध्रुव-ऐटकेन बेसिन है, जिसका व्यास 2500 किमी और गहराई लगभग 8 किलोमीटर है।

7- चंद्रमा पर परछाइयां पृथ्वी की तुलना में अधिक गहरी दिखाई देती हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि चंद्रमा पर वायुमंडल नहीं है। इसलिए प्रकाश के अंशों को अपवर्तित करके ऐसी परछाइयाँ नहीं बनाई जा सकतीं जो अधिक विपरीतता पैदा करें।

8- चंद्रमा का व्यास 3474 किलोमीटर है, जबकि ऑस्ट्रेलिया का व्यास (पूर्व से पश्चिम) इससे 600 KM ज्यादा यानी 4000 किलोमीटर है। वहीं, धरती का कुल व्यास 12742 किलोमीटर है।

9- चंद्रमा न होता तो हमारे महासागरों में ज्वार-भाटा नहीं आता। चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल के चलते ही पृथ्वी का पानी उसकी ओर खिंचता है, जिससे ज्वारीय बल पैदा होता है।

10- चंद्र ग्रहण के दौरान, सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक ही दिशा में आ जाते हैं, जिससे पृथ्वी सूर्य के प्रकाश को रोक देती है। इससे चंद्रमा पर धरती की छाया पड़ती है, जिससे वो काफी धुंधला दिखाई देता है। कई बार चंद्रमा की सतह का रंग चटक लाल हो जाता है, जिसे ब्लड मून कहते हैं।

ये भी देखें : Lunar Eclipse 2025 Live Streaming: साल का आखिरी चंद्र ग्रहण यहां देखें लाइव