सार
Chitragupta Puja 2023: हमारे धर्म ग्रंथों मे अनेक देवी-देवताओं के बारे में बताया गया है। भगवान चित्रगुप्त भी इनमें से एक है। चैत्र कृष्ण पक्ष की द्वितिया तिथि (9 मार्च, गुरुवार) को इनकी पूजा विशेष रूप से की जाती है।
उज्जैन. गरुड़ पुराण के अनुसार, जब यमदूत किसी व्यक्ति के प्राण निकालकर उसे यमलोक ले जाते हैं तो वहां चित्रगुप्त महाराज उस व्यक्ति के अच्छे-बुरे कर्मों का हिसाब यमराज को बताते हैं। (Chitragupta Puja 2023) इस तरह चित्रगुप्त यमराज के सहायक हैं। चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की द्वितिया तिथि को इनकी पूजा विशेष रूप से की जाती है। इस बार ये तिथि 9 मार्च, गुरुवार को है। कायस्थ समाज इन्हें अपना आराध्य मानाता है।
ये है पूजा के शुभ मुहूर्त (Chitragupta Puja 2023 Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की द्वितिया तिथि 8 मार्च रात 7.42 से 9 मार्च रात 8.54 तक रहेगी। चूंकि द्वितिया तिथि का सूर्योदय 9 मार्च को होगा, इसलिए इसी दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाएगी। पूजा के शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं-
सुबह 11:03 से दोपहर 12:32 तक- लाभ
दोपहर 12:32 से 02:00 तक- अमृत
शाम 04:57 से 06:26 तक- शुभ
इस विधि से करें भगवान चित्रगुप्त की पूजा (Chitragupta Puja Vidhi)
-9 मार्च, गुरुवार की सुबह स्नान आदि करने के बाद घर में कोई स्थान साफ करें और वहां एक बाजोट यानी पटिया स्थापित कर, उसके ऊपर साफ कपड़ा बिछा दें। इसके ऊपर भगवान चित्रगुप्त की प्रतिमा या चित्र रखें।
- इसके बाद कुंकुम से तिलक लगाएं और हार पहनाएं। शुद्ध घी का दीपक जलाएं। चन्दन, रोली, हल्दी, पान, सुपारी आदि चीजें चढ़ाएं। इसके बाद फल और मिठाई का भोग लगाएं।
- इस मौके पर पुस्तक और कलम की पूजा भी की जाती है। ऐसा करते समय नीचे लिखा मंत्र बोलें-
मसिभाजनसंयुक्तं ध्यायेत्तं च महाबलम्।
लेखिनीपट्टिकाहस्तं चित्रगुप्तं नमाम्यहम्।।
- इसके बाद एक सफेद कागज पर स्वस्तिक बनाकर उस पर अपनी आय और व्यय का विवरण देकर उसे चित्रगुप्त जी को अर्पित कर पूजन करें।
भगवान श्री चित्रगुप्त जी की आरती
ॐ जय चित्रगुप्त हरे,
स्वामीजय चित्रगुप्त हरे ।
भक्तजनों के इच्छित,
फलको पूर्ण करे॥
विघ्न विनाशक मंगलकर्ता,
सन्तनसुखदायी ।
भक्तों के प्रतिपालक,
त्रिभुवनयश छायी ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
रूप चतुर्भुज, श्यामल मूरत,
पीताम्बरराजै ।
मातु इरावती, दक्षिणा,
वामअंग साजै ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
कष्ट निवारक, दुष्ट संहारक,
प्रभुअंतर्यामी ।
सृष्टि सम्हारन, जन दु:ख हारन,
प्रकटभये स्वामी ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
कलम, दवात, शंख, पत्रिका,
करमें अति सोहै ।
वैजयन्ती वनमाला,
त्रिभुवनमन मोहै ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
विश्व न्याय का कार्य सम्भाला,
ब्रम्हाहर्षाये ।
कोटि कोटि देवता तुम्हारे,
चरणनमें धाये ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
नृप सुदास अरू भीष्म पितामह,
याद तुम्हें कीन्हा ।
वेग, विलम्ब न कीन्हौं,
इच्छितफल दीन्हा ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
दारा, सुत, भगिनी,
सबअपने स्वास्थ के कर्ता ।
जाऊँ कहाँ शरण में किसकी,
तुमतज मैं भर्ता ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
बन्धु, पिता तुम स्वामी,
शरणगहूँ किसकी ।
तुम बिन और न दूजा,
आसकरूँ जिसकी ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
जो जन चित्रगुप्त जी की आरती,
प्रेम सहित गावैं ।
चौरासी से निश्चित छूटैं,
इच्छित फल पावैं ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
न्यायाधीश बैंकुंठ निवासी,
पापपुण्य लिखते ।
'नानक' शरण तिहारे,
आसन दूजी करते ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे,
स्वामीजय चित्रगुप्त हरे ।
भक्तजनों के इच्छित,
फलको पूर्ण करे ॥
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