सार

Devshayani Ekadashi 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार, एक साल में कुल 24 एकादशी होती है। इन सभी का नाम और महत्व अलग-अलग है। इनमें से आषाढ़ मास की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहते हैं। इस एकादशी का विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है।

 

उज्जैन. इस बार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 29 जून, गुरुवार को है। इसे देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi 2023) कहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी तिथि से अगले 4 महीनों के लिए भगवान विष्णु पाताल लोग में विश्राम के लिए चले जाते हैं। इन 4 महीनों में सृष्टि का संचालन भगवान शिव के हाथों में होता है। भगवान विष्णु के पाताल लोक में जाकर विश्राम करने के पीछे एक पौराणिक कथा जुड़ी है जो इस प्रकार है…

भगवान वामन ने राजा बलि से मांगी 3 पग भूमि
पौराणिक कथाओं के अनुसार, दैत्यों का राजा बलि बहुत पराक्रमी था। उसने तीनों पर अधिकार कर लिया था। देवता भी उससे डरते थे। तब एक दिन सभी देवता भगवान विष्णु के पास गए और उन्हें पूरी बात बताई। भगवान ने देवताओं को आश्वासन दिया कि जल्दी ही वे इस परेशानी का निराकरण करेंगे। भगवान विष्णु वामन रूप लेकर राजा बलि से भिक्षा मांगने गए और उनसे तीन पग धरती मांग ली।

तीनों लोकों पर कर लिया अधिकार
बलि ने जैसे ही भगवान वामन को तीन पग भूमि दान देने का संकल्प लिया, वैसे ही भगवान वामन ने अपना शरीर पर्वतों से भी ऊंचा कर लिया। भगवान वामन ने एक पग में धरती और दूसरे में आकाश नाप दिया। जब तीसरा पग रखने के लिए कोई जगह नहीं बची तो राजा बलि ने स्वयं को आगे कर दिया और कहा “आप तीसरा पैर मेरे ऊपर रखिए।”

बलि को बनाया पाताल लोक का राजा
जैसे ही भगवान विष्णु ने बलि के ऊपर पैर रखा तो वह पाताल लोक में चला गया। बलि की दानवीरता देखकर भगवान भी बहुत प्रसन्न हुए और वरदान मांगने को कहा। बलि ने कहा कि “आप भी मेरे साथ पाताल में रहिए।” बलि की बात मानकर भगवान विष्णु को भी पाताल जाना पड़ा। ऐसा होने से सभी देवता और देवी लक्ष्मी परेशान हो गई।

देवी लक्ष्मी ने ऐसे पाया भगवान विष्णु को
भगवान विष्णु को पाने के लिए देवी लक्ष्मी एक गरीब स्त्री के रूप में राजा बलि के पास गई और उन्हें रक्षा सूत्र बांधकर अपना भाई बना लिया। जब बलि ने उनसे कुछ मांगने को कहा तो उन्होंने भगवान विष्णु के मांग लिया। इस तरह 4 महीने के बाद पुन: भगवान विष्णु पाताल लोक से बाहर आए। मान्यता है कि आज भी भगवान विष्णु 4 महीने तक पाताल लोक में निवास करते हैं।


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