क्या दिवाली 2025 पर पुराने दीये दोबारा जलाना शुभ है या अशुभ? क्या पिछले साल की पूजा में इस्तेमाल किए गए मिट्टी के दीये इस बार रोशनी लाएंगे या नकारात्मक ऊर्जा लाएंगे? जानिए कौन से दीये दोबारा जलाए जा सकते हैं।

Diwali Lighting Rules: रोशनी का त्योहार दिवाली, अंधकार पर प्रकाश की विजय और घरों में सुख-समृद्धि लाने का प्रतीक है। इस दिन देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है और घरों को दीयों की रोशनी से रोशन किया जाता है। हालांकि, कई लोग इस बात को लेकर असमंजस में रहते हैं कि क्या दिवाली पर पिछले साल के पुराने मिट्टी के दीये या अन्य पूजाओं में इस्तेमाल किए गए दीये दोबारा जलाना शुभ होता है। आइए जानें इस विषय पर क्या नियम हैं और दीये जलाने की सही विधि क्या है।

क्या दिवाली पर पुराने दीये दोबारा जलाने चाहिए?

मिट्टी के दीयों के नियम

  • सामान्य पूजा के लिए: मिट्टी के दीयों का इस्तेमाल आमतौर पर केवल एक बार ही करना शुभ माना जाता है। पूजा में एक बार इस्तेमाल करने के बाद मिट्टी के बर्तनों का दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जाता।
  • दिवाली पर: मुख्य दिवाली पूजा में इस्तेमाल किए गए मिट्टी के दीयों का दोबारा इस्तेमाल करना अशुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि पूजा में इस्तेमाल की गई मिट्टी नकारात्मक ऊर्जा को सोख लेती है, इसलिए इसका दोबारा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
  • यम दीपक: धनतेरस या नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली) की रात, यम के लिए जलाए गए पुराने दीपक को सरसों के तेल से दोबारा जलाया जा सकता है। यह यम को समर्पित होता है और परिवार की अकाल मृत्यु से रक्षा के लिए जलाया जाता है।

अन्य धातुओं (जैसे, पीतल, चांदी) से बने दीपकों के नियम

यदि आप पूजा कक्ष या घर में पीतल, चांदी या अन्य धातुओं से बने दीपकों का उपयोग करते हैं, तो उन्हें अच्छी तरह से साफ़ करके, अग्नि से पुनः शुद्ध करके दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है। इन्हें दोबारा जलाना शुभ माना जाता है और पर्यावरण के प्रति ज़िम्मेदारी भी दर्शाता है।

टूटा हुआ दीपक न जलाएं

चाहे दिवाली हो या कोई अन्य पूजा, टूटा हुआ (शाखंड) दीपक जलाना बेहद अशुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि टूटा हुआ दीपक जलाने से धन की हानि होती है और नकारात्मकता आती है।

पुराने दीयों का क्या करें?

  • विसर्जन: दिवाली पूजा के बाद, मिट्टी के दीयों को किसी पवित्र नदी में विसर्जित करें या किसी पवित्र वृक्ष (जैसे पीपल या तुलसी) के नीचे रखें।
  • पुनः उपयोग (सजावट): यदि आप इन्हें विसर्जित नहीं करना चाहते हैं, तो आप इन्हें घर की सजावट या कलात्मक उद्देश्यों के लिए उपयोग कर सकते हैं।

दिवाली पर दीपक जलाने के महत्वपूर्ण नियम

  • दिशा का ध्यान: हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके दीपक जलाना शुभ माना जाता है। घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाते समय, लौ अंदर की ओर होनी चाहिए। यम दीपक (धनतेरस/छोटी दिवाली) हमेशा दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जलाना चाहिए।
  • संख्या: दिवाली पर दीयों की संख्या विषम होनी चाहिए, जैसे 5, 7, 9, 11, 21, 51, या 108। आप अपनी इच्छानुसार किसी भी संख्या में दीपक जला सकते हैं, लेकिन विषम संख्या शुभ मानी जाती है।
  • पहला दीपक: पूजा शुरू करते समय पहला दीपक मंदिर में जलाना चाहिए। घी का दीपक सरसों के तेल के दीपक से अधिक शुभ माना जाता है।
  • स्थान: घर के मुख्य द्वार, बैठक कक्ष, रसोई के दक्षिण-पूर्व कोने, तुलसी के पौधे के पास, पीपल के पेड़ के नीचे और छत/बालकनी पर दीपक अवश्य जलाएं।
  • एक दीपक से दूसरा दीपक न जलाएं: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कभी भी एक दीपक से दूसरा दीपक नहीं जलाना चाहिए। यह अशुभ माना जाता है। दीपक अलग-अलग जलाना चाहिए।
  • दीपक न बुझाएं: पूजा के दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखें कि दीपक किसी भी तरह बुझ न जाए। दीपक को हाथ से या फूंक मारकर नहीं बुझाना चाहिए। ऐसा करना देवी लक्ष्मी का अनादर माना जाता है।

Disclaimer: इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।