सार
Kyo Karte Hai Ganesh Prtimao Ka Visarjan: भाद्रपद मास में गणेश उत्सव मनाया जाता है। 10 दिवसीय इस उत्सव के बाद गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन कर दिया जाता है। ऐसा क्यों किया जाता है, इसके पीछे एक रोचक कथा है। बहुत कम लोग इस कथा के बारे में जानते हैं।
उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश प्रतिमाओं की स्थापना की जाती है, जिन्हें 10 दिन बाद यानी अनंत चतुर्दशी के मौके पर नदी या तालाब आदि में विसर्जित कर दिया जाता है। इस परंपरा के पीछे एक रोचक कथा छिपी है। बहुत कम लोग इस कथा के बारे में जानते हैं। आगे जानिए क्यों करते हैं गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन और इससे जुड़ी कथा…
महर्षि वेदव्यास ने बुलाया श्रीगणेश को
पौराणिक कथा के अनुसार, जब महर्षि वेदव्यास ने महाभारत ग्रंथ की की मन ही मन रचना की तो उसे लिखने के लिए उन्होंने भगवान श्रीगणेश का आवाहन किया। श्रीगणेश महाभारत लिखने के लिए तैयार तो हो गए, लेकिन उन्होंने एक शर्त रखी कि ‘लिखते समय मेरी कलम एक पल के लिए भी नहीं रुकेगी, आपको लगातार बोलना पड़ेगा।’ तब वेदव्यास ने भी एक शर्त रखी कि ‘मैं जो भी बोलूंगा, उसे पहले आप समझें, इसके बाद ही उसे लिखें।’ दोनों ने एक-दूसरे की शर्त मान ली।
वेदव्यास ने किया ये उपाय
महाभारत का लेखन करने से पूर्व महर्षि वेदव्यास ने श्रीगणेश के ऊपर मिट्टी का लेप लगा दिया ताकि उनके शरीर का तापमान न बढ़े। भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को महाभारत का लेखन शुरू हुआ जो भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी तक चलता रहा यानी पूरे 10 दिन तक। इस दौरान शरीर पर लगी मिट्टी के कारण श्रीगणेश का पूरा शरीर अकड़ गया और उनका तापमान भी काफी बढ़ गया।
इसलिए करते हैं विसर्जन
वेदव्यास जी जब देखा कि श्रीगणेश का शरीर अकड़ गया है और उनके शरीर का तापमान भी काफी बढ़ गया है तो उन्होंने पानी से श्रीगणेश का अभिषेक किया और साथ ही उन्हें खाने के लिए कई चीजें भी दी। ऐसा करने से श्रीगणेश काफी प्रसन्न हुए। इस तरह महाभारत का लेखन संपन्न हुआ और गणेश विसर्जन की परंपरा भी शुरू हो गई। यही कारण है कि 10 दिन तक गणेश प्रतिमाओं की पूजा के बाद अनंत चतुर्दशी पर उनका विसर्जन कर दिया जाता है।
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