सार
इस बार 3 जुलाई, सोमवार को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जा रहा है। ये दिन गुरुओं को समर्पित हैं। शिष्य इस दिन अपने-अपने धार्मिक, आध्यात्मिक व अन्य गुरुओं की पूजा करते हैं व उपहार आदि भी भेंट करते हैं।
उज्जैन. गुरु पूर्णिमा वह दिन है जब पहले योगी यानी आदियोगी ने खुद को पहले गुरु के रूप में परिवर्तित किया। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस पूर्णिमा के दिन उनका ध्यान सात ऋषियों पर पड़ा जिन्हें आज भी सप्तऋषि के रूप में जाना जाता है। आदियोगी ने पहले ही उन्हें खुद को तैयार करने के लिए कुछ तरीके दिए थे और अब ये प्राणी 84 सालों की तैयारी के बाद खुद को चमकदार ग्रहणशील पात्रों में बदल कर चुके थे।
84 सालों की साधना के बाद तैयार हुए इन पात्रों पर जब आदियोगी शिव का ध्यान पड़ा तो वह उनको अनदेखा नहीं कर सके। गुरु पूर्णिमा के दिन पहले योगी ने फैसला किया कि वह पहले गुरु बनेंगे और योग की विज्ञान प्रचारित करने का काम शुरू करेंगे। कई शास्त्र कहते हैं कि गुरु की कृपा पाने के लिए बहुत बड़ी चीजें करने की जरूरत नहीं है बल्कि एक सादा सरल भक्ति भाव से भरा हृदय ही काफी है। सिर्फ समर्पण के भाव से ही गुरु के सानिध्य और मार्गदर्शन को पाया जा सकता है। फिर भी अगर आप गुरु के प्रति अपने भक्ति भाव को प्रकट करना चाहते हैं तो इसके कई सरल तरीके हो सकते हैं। लेकिन उससे पहले चलिए जानते हैं कि गुरु पूर्णिमा दिवस के लिए तैयारी कैसे करें…
सुबह जल्दी उठें
सूर्योदय से पहले उठना उपयोगी होता है; यह समय पूजा-अर्चना करने के लिए भी सबसे उपयुक्त समय होता है। इस तरह आप गुरु पूर्णिमा के दिन की आदर्श शुरुआत कर सकते हैं।
शौच और स्नान
नहाना ना केवल शरीर को साफ करने में मदद करता है, बल्कि यह शरीर और मन को ताजगी देता है। ठंडे पानी से स्नान करना आपको और भी ज्यादा ग्रहणशील बना सकता है। आप अपने घर में पूजा की जगह को सजाने के लिए कुछ फूल भी खरीद सकते हैं।
गुरु पूर्णिमा मनाने का सरल तरीका
1. गुरु की फोटो के लिए एक जगह निर्धारित करें और उस स्थान को आदर भरे मन से साफ करें।
2. अपने गुरु के फोटो को फूल और फल समर्पित कर सकते है।
3. गुरु की फोटो के सामने एक दीपक भी जला सकते है, क्यह आपको अपने गुरु से जुड़ने के लिए एक अनुकूल वातावरण बनाएगा।
4. आप अपने गुरु की पूजा और आह्वान के लिए सरल मंत्र का जाप कर सकते हैं-
गुरु ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः, गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरु साक्षात् परं ब्रह्मा, तस्मै श्री गुरवे नमः॥
इस मंत्र का अर्थ है: गुरु ही ब्रह्मा है, गुरु विष्णु है और गुरु ही महेश्वर है। गुरु साक्षात परमब्रह्म का स्वरूप होते हैं और ऐसे गुरु के चरणों में हम नमन करते हैं।