सार

Guru Pushay 2023: ज्योतिष शास्त्र में पुष्य को नक्षत्रों का राजा कहा जाता है। जब पुष्य नक्षत्र गुरुवार को होता है तो इसका बहुत ही शुभ माना जाता है। इस बार 27 अप्रैल, गुरुवार को ऐसा ही शुभ संयोग बन रहा है। कई सालों में एक बार ऐसा शुभ संयोग बनता है।

 

उज्जैन. इस बार 27 अप्रैल, गुरुवार को दिन बहुत ही शुभ है क्योंकि इस दिन पुष्य नक्षत्र दिन भर रहेगा। गुरुवार को पुष्य नक्षत्र होना बहुत ही शुभ होता है। कई सालों में ऐसा संयोग 1 बार बनता है। ये दिन खरीदी और शुभ कार्यों के लिए महत्वपूर्ण है। साथ ही इस दिन गंगा सप्तमी का पर्व भी मनाया जाएगा। अन्य कई शुभ योग भी इस दिन रहेंगे। आगे जानिए इस शुभ योग से जुड़ी खास बातें…

कब से कब तक रहेगा गुरु पुष्य संयोग?
27 अप्रैल की सुबह पुष्य नक्षत्र सुबह 7 बजे से शुरू होकर अगले दिन सुबह तक रहेगा। गुरुवार को पुष्य नक्षत्र होने से शुभ नाम के योग बनेगा। इसके अलावा इस दिन हंस गजकेसरी, बुधादित्य, सर्वार्थसिद्धि और अमृतसिद्धि योग भी बन रहे हैं। इस तरह पंच महायोग पूरे दिन रहेगा। ग्रहों की स्थिति देखी जाए तो इस दिन सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में, शुक्र, चंद्रमा और शनि अपनी स्वराशि में रहेंगे। ग्रहों की ये स्थिति भी शुभ फल देने वाली है।

प्रॉपर्टी में निवेश के लिए शुभ
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, गुरु पुष्य के शुभ संयोग में प्रॉपर्टी में निवेश करना बहुत ही शुभ रहता है। इस दिन प्रॉपर्टी के सौदे करने से भविष्य में लाभ की स्थिति बनती है। इसके अलावा नए कामों की शुरुआत, टू या फोर व्हीलर, ज्वैलरी, कपड़े, फर्नीचर आदि चीजों की खरीदी करना भी इस दिन शुभ रहता है। पुष्य स्थाई नक्षत्र है, इस नक्षत्र में खरीदी गई कोई भी चीज लंबे समय तक उपयोग में बनी रहती है और सुख-समृद्धि प्रदान करती है।

पुष्य नक्षत्र को क्यों मनाते हैं इतना शुभ?
ज्योतिष शास्त्र में पुष्य को नक्षत्रों का राजा कहा गया है। इस नक्षत्र में खरीदी करना बहुत ही शुभ होता है। पुष्य नक्षत्र के स्वामी शनि देव हैं लेकिन देव गुरु बृहस्पति को इस नक्षत्र के अधिष्ठाता देव माने जाते हैं। शनि के प्रभाव से ही इस नक्षत्र में किए गए काम लंबे समय तक फायदा देने वाले होते हैं और बृहस्पति के प्रभाव से ये शुभदायी और समृद्धि देने वाला होता है।

27 अप्रैल के शुभ मुहूर्त
- दोपहर 12:19 से 01:58 तक
- दोपहर 01:58 से 03:36 तक
- शाम 05:15 से 06:54 तक
- शाम 06:54 से रात 08:15 तक