सार

Hariyali Amawasya 2023: धर्म ग्रंथों के अनुसार, अमावस्या तिथि के स्वामी पितृ देवता हैं। पितृ दोष होने पर अमावस्या तिथि पर कुछ विशेष उपाय करने से इसके अशुभ फल से बचा जा सकता है। इस बार हरियाली अमावस्या 17 जुलाई, सोमवार को है।

 

उज्जैन. ज्योतिष शास्त्र में कई तरह के दोष बताए गए हैं, पितृ दोष भी इनमें से एक है। जिनकी कुंडली में पितृ दोष होता है वे यदि अमावस्या तिथि पर विशेष उपाय करें तो उनके इस दोष के अशुभ प्रभाव में कमी आ सकती है। इस बार 17 जुलाई, सोमवार को हरियाली अमावस्या (Hariyali Amawasya 2023) है। सोमवार को अमावस्या होने से सोमवती अमावस्या भी कहलाएगी। इस दिन यदि पितृ स्त्रोत (Pitra Stotra) का पाठ किया जाए तो पितृ दोष (Pitra Dosh Ke Upay) का प्रभाव तो कम होता ही है, साथ ही कई फायदे भी मिलते हैं…

ये है पितृ स्त्रोत
अर्चितानाममूर्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम्।
नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम्।।
इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्तथा।
सप्तर्षीणां तथान्येषां तान् नमस्यामि कामदान्।।
मन्वादीनां च नेतार: सूर्याचन्दमसोस्तथा।
तान् नमस्यामहं सर्वान् पितृनप्युदधावपि।।
नक्षत्राणां ग्रहाणां च वाय्वग्न्योर्नभसस्तथा।
द्यावापृथिवोव्योश्च तथा नमस्यामि कृताञ्जलि:।।
देवर्षीणां जनितृंश्च सर्वलोकनमस्कृतान्।
अक्षय्यस्य सदा दातृन् नमस्येहं कृताञ्जलि:।।
प्रजापते: कश्पाय सोमाय वरुणाय च।
योगेश्वरेभ्यश्च सदा नमस्यामि कृताञ्जलि:।।
नमो गणेभ्य: सप्तभ्यस्तथा लोकेषु सप्तसु।
स्वयम्भुवे नमस्यामि ब्रह्मणे योगचक्षुषे।।
सोमाधारान् पितृगणान् योगमूर्तिधरांस्तथा।
नमस्यामि तथा सोमं पितरं जगतामहम्।।
अग्रिरूपांस्तथैवान्यान् नमस्यामि पितृनहम्।
अग्रीषोममयं विश्वं यत एतदशेषत:।।
ये तु तेजसि ये चैते सोमसूर्याग्रिमूर्तय:।
जगत्स्वरूपिणश्चैव तथा ब्रह्मस्वरूपिण:।।
तेभ्योखिलेभ्यो योगिभ्य: पितृभ्यो यतामनस:।
नमो नमो नमस्तेस्तु प्रसीदन्तु स्वधाभुज।।

इस विधि से करें पितृ स्त्रोत का पाठ
- हरियाली अमावस्या की सुबह स्नान आदि करने के बाद सबसे पहले सूर्यदेव को जल चढ़ाएं। इसमें काले तिल जरूर डालें। सूर्यदेव से पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें।
- इसके बाद उपला जिसे कंडा भी कहते हैं, का एक टुकड़ा जलाकर इसे किसी मिट्टी के बर्तन में रख लें। घर का कोई हिस्सा अच्छे से साफ करें। वहां इसे रखें और इसके ऊपर घी-गुड़ डालें।
- ऐसा करते समय ऊं पितृ देवताभ्यों नम: मंत्र का जाप करते रहें। 5 बार धूप देने के बाद अंगूठे के माध्यम से जमीन पर जल छोड़ दें। इसी स्थान पर बैठकर पितृ स्त्रोत का पाठ करें।
- पितृ स्त्रोत के पाठ से आपकी परेशानियां अपने आप ही दूर हो सकती है साथ ही आने वाले संकट भी टल सकते हैं। ये उपाय प्रत्येक अमावस्या को किया जा सकता है।


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