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Hindu Tradition: क्यों शगुन के पैसों में 1 रुपया ज्यादा दिया जाता है जैसे 51 या 101?

Hindu Tradition: जब ही हम किसी मांगलिक कार्यक्रम जैसे विवाह, मुंडन आदि में जाते हैं तो शगुन के तौर पर कोई उपहार भी देते हैं। कुछ लोग शगुन के रूप में पैसे भी देते हैं। इन शगुन के पैसों में हमेशा एक रूपया अतिरिक्त रखा जाता है जैसे 51 या 101। 

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Manish Meharele
Published : May 20 2023, 10:07 AM IST
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जानें शगुन से जुड़ी खास बातें...
Image Credit : Getty

जानें शगुन से जुड़ी खास बातें...

हिंदू धर्म में मांगलिक कार्यक्रमों जैसे विवाह, मुंडन, जन्मदिवस आदि के दौरान शगुन के रूप में कुछ न कुछ उपहार देने की परंपरा है। (Hindu Tradition) कुछ लोग जो किसी कारण उपहार नहीं ला पाते, नगद पैसे भी देते हैं। शगुन के रूप में नकद पैसा देते समय लिफाफे में एक रुपए का सिक्का अतिरिक्त रखा जाता है जैसे 51 या 101। शगुन के रूप में दिए जाने वाले नगद पैसों में एक रुपया अतिरिक्त क्यों रखा जाता है, इसके पीछे हमारे पूर्वजों की बहुत ही गहरी सोच छिपी है। आगे जानिए इस परंपरा के पीछे छिपा कारण…

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इसलिए शगुन के पैसों में रखा जाता है 1 रुपया अतिरिक्त
Image Credit : Getty

इसलिए शगुन के पैसों में रखा जाता है 1 रुपया अतिरिक्त

शगुन के रूप में जब 50 या 100 दिए जाते हैं तो ये संख्या कई अंकों से विभाजित की जाती है यानी इन्हें भागित किया जा सकता है। और जब इसमें 1 रूपया अतिरिक्त रखा जाता है जैसे 51 या 101 तो ये संख्या अविभाजित हो जाती है यानी इसे किसी भी अंक से विभाजित नहीं किया जा सकता। इसका मनोवैज्ञानिक पक्ष ये है कि शगुन में दिए गए पैसे को तरह हमारा संबंध भी हमेशा बना रहेगा, ये विभाजित न हो।

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एक कारण ये भी
Image Credit : Getty

एक कारण ये भी

शगुन के रूप में 51 या 101 रूपए देने के पीछे एक और मनोवैज्ञानिक कारण भी है। इसके अनुसार 50 या 100 रूपए का अंतिम अंक शून्य है जो कि समाप्ति का सूचक है। जबकि इसमें यदि 1 रुपया अतिरिक्त जोड़ दिया जाए तो ये 51 और 101 हो जाता है, जिसका अंतिम अंक 1 है जो एकजुटता का प्रतीक है। मनोवैज्ञानिक सोच ये है कि रिश्तों में हमेशा एकता बनी रहनी चाहिए, इसमें शून्यता का कोई स्थान नहीं होना चाहिए।

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एक तरह का इन्वेस्ट भी है शगुन
Image Credit : Getty

एक तरह का इन्वेस्ट भी है शगुन

मांगलिक अवसरों पर शगुन के रूप में दिए पैसे एक तरह का इन्वेस्टमेंट है। जब भी हमारे किसी परिचित व्यक्ति या रिश्तेदार के यहां कोई मांगलिक अवसर आता है तो हम अपनी शक्ति के अनुसार, उसे शगुन के रूप में उपहार या नगद पैसे देते हैं। जब हमारे परिवार में कोई मांगलिक अवसर आता है तो यही उपहार और नगद पैसे थोड़े बढ़कर हमारे पास पुन: लौट आते हैं जो उस समय हमारे लिए काफी उपयोगी साबित होते हैं। इस तरह शगुन एक तरह का इन्वेस्टमेंट भी है जिसे हम सामान्य बोलचाल की भाषा में व्यवहार बोलते हैं।

 

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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें। आर्टिकल पर भरोसा करके अगर आप कुछ उपाय या अन्य कोई कार्य करना चाहते हैं तो इसके लिए आप स्वतः जिम्मेदार होंगे। हम इसके लिए उत्तरदायी नहीं होंगे।

About the Author

MM
Manish Meharele
मनीष मेहरेले। मीडिया जगत में इनके पास 19 साल से ज्यादा का अनुभव है। वर्तमान समय में ये एशियानेट न्यूज हिंदी के साथ जुड़कर धर्म-आध्यात्म बीट पर काम कर रहे हैं। करियर की शुरुआत इन्होंने स्थानीय अखबार दैनिक अवंतिका से की थी। इसके बाद वह दैनिक भास्कर प्रिंट उज्जैन में वाणिज्य डेस्क प्रभारी रहे और 2010-2019 तक दैनिक भास्कर डिजिटल में धर्म डेस्क पर काम किया। इन्हें महाभारत, रामायण जैसे धार्मिक ग्रंथों का अच्छा ज्ञान है। इनके पास जीव विज्ञान में बीएससी स्नातक की डिग्री है।

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