सार

हिंदू धर्म में गाय को बहुत ही पवित्र माना गया है। गाय को मां कहा जाता है और इसके दूध को अमृत। परंपरा के अनुसार घर में बनने वाले भोजन की पहली रोटी गाय को देने की परंपरा है।

 

महाभारत की कथा जितनी बड़ी है उतनी ही विचित्र भी है। इसमें कईं ऐसे रोचक तथ्य छिपे हैं जिनके बारे में आम जन को जानकारी नहीं है। महाभारत युद्ध में भीम ने दुर्योधन का वध किया था, इसके बाद होने वाली घटनाएं बहुत ही वीभत्स हैं। कैसे अश्वत्थामा ने द्रौपदी के सोते हुए पुत्रों का वध किया और इसके लिए उसे दिव्य तलवार किसने दी, इसके बारे में कुछ ही लोगों को पता है। जानें कैसे हुई ये घटना…

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दुर्योधन ने अश्वत्थामा को बनाया अपना सेनापति

जब भीम ने दुर्योधन की जंघा तोड़कर उसे मरने के लिए छोड़ दिया। तब दुर्योधन से मिलने द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा, कुलगुरु कृपाचार्य और कृतवर्मा आए। दुर्योधन ने अश्वत्थामा को अपना अंतिम सेनापति बनाया और पांडवों का नाश करने को कहा। तब अश्वत्थामा, कृपाचार्य और कृतवर्मा रात के अंधेरे में पांडवों के शिविर में गए।

किसने दी अश्वत्थामा को दिव्य तलवार?

पांडवों के शिविर में पहुंचकर अश्वत्थामा ने कृतवर्मा और कृपाचार्य को बाहर पहरा लेने के लिए और स्वयं अंदर चले गए। वहां अश्वत्थामा ने देखा कि एक विराट पुरुष (भगवान शिव) पांडवों के शिविर की रक्षा कर रहा है। उसका तेज सूर्य व चंद्रमा के समान था। उसे सर्पों का यज्ञपवित पहना हुआ था। उसके मुख से आग निकल रही थी। उसके शरीर से हजारों विष्णु प्रकट हो रहे थे। उसे देखकर भी अश्वत्थामा घबराया नहीं और युद्ध करने लगा। अश्वत्थामा के पराक्रम से प्रसन्न होकर उस दिव्य पुरुष ने उन्हें एक दिव्य तलवार भेंट की।

कैसे किया अश्वत्थामा ने द्रोपदी के पुत्रों का वध?

दिव्य तलवार लेकर जब अश्वत्थामा शिविर के अंदर गया तो वहां उसने द्रौपदी के पांचों सोते हुए पुत्रों को पांडव समझकर मार दिया। इसके बाद अश्वत्थामा ने सात्यकि, धृष्टद्युम्न, उत्तमौजा, युधामन्यु आदि वीरों का वध कर दिया। इनके अलावा और भी जो योद्धा पांडव शिविर में सो रहे थे, अश्वत्थामा ने उनका भी वध कर दिया।


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