सार

Ganesh Visarjan 2024: 10 दिन गणेश उत्सव मनाने के बाद गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन कर दिया जाता है। गणेश प्रतिमा विसर्जन से पहले विशेष पूजा की जाती है। जानें कब करें गणेश विसर्जन, शुभ मुहूर्त की डिटेल?

 

Ganesh Visarjan 2024: धर्म ग्रंथों के अनुसार, हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। इस दौरान घर में और सामूहिक रूप से गणेशजी की प्रतिमाओं की स्थापना की जाती है। इसके 10 दिन बाद यानी चतुर्दशी तिथि को शुभ मुहूर्त में श्रीगणेश की प्रतिमाओं का नदी, तालाब आदि में विसर्जन कर दिया जाता है। इसके पहल विशेष पूजा की जाती है और मंत्र बोले जाते हैं। जानें साल 2024 में कब करें गणेश प्रतिमा का विसर्जन, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र…

कब करें गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन? (Ganapati Visarjan 2024 Date)
गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर करने की परंपरा है, जिसे अनंत चतुर्दशी भी कहते हैं। इस बार ये तिथि 16 सितंबर, सोमवार की दोपहर 03:10 से शुरू होगी, जो अगले दिन यानी 17 सितंबर, मंगलवार की सुबह 11:44 तक रहेगी। चूंकि चतुर्दशी तिथि का सूर्योदय 17 सितंबर को होगा, इसलिए इसी दिन गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाएगा।

गणेश विसर्जन 2024 शुभ मुहूर्त (Ganesh Visarjan 2024 Shubh Muhurat)
- सुबह 09:11 से दोपहर 01:47 तक
- सुबह 11:57 से दोपहर 12:45 तक
- दोपहर 03:19 से शाम 04:51 तक
- शाम 07:51 से रात 09:19 तक

इस विधि से करें गणेश प्रतिमा का विसर्जन-पूजा (Ganesh Pratima Visarjan Ki Vidhi)
- 17 सितंबर, मंगलवार को ऊपर बताए गए किसी शुभ मुहूर्त में पहले घर में स्थापित गणेश प्रतिमा का विधि-विधान से पूजन करें। शुद्ध घी का दीपक लगाएं। फूलों की माला पहनाएं। तिलक लगाएं।
- इसके बाद अबीर, गुलाल, चंदन, सिंदूर, जनेऊ, नारियल, इत्र, फल आदि चीजें चढ़ाएं। वस्त्र या लाल धागा अर्पित करें। अन्य पूजन सामग्री भी अर्पित करें। ऐसा
करते समय ऊं गं गणपतये नम: मंत्र बोलते रहें।
- भगवान श्रीगणेश को दूर्वा भी विशेष रूप से चढ़ाएं। अपनी इच्छा अनुसार भोग लगाएं। भगवान से घर की सुख-समृद्धि की कामना करते हुए नीचे लिखे हुए 10 नाम भी श्रद्धा-भक्ति के साथ बोलें-
ऊं गणाधिपतयै नम:
ऊं उमापुत्राय नम:
ऊं विघ्ननाशनाय नम:
ऊं विनायकाय नम:
ऊं ईशपुत्राय नम:
ऊं सर्वसिद्धप्रदाय नम:
ऊं एकदन्ताय नम:
ऊं इभवक्त्राय नम:
ऊं मूषकवाहनाय नम:
ऊं कुमारगुरवे नम:

- इसके बाद श्रीगणेश की आरती करें और श्रद्धापूर्वक प्रतिमा का विसर्जन किसी नदी या तालाब में करें। विसर्जन के समय ये मंत्र बोलें-
यान्तु देवगणा: सर्वे पूजामादाय मामकीम्।
इष्टकामसमृद्धयर्थं पुनर्अपि पुनरागमनाय च॥
अर्थ- हे देवगण, हमारी पूजा को स्वीकार करके आप अपने स्थान पर जाएं, पुनः हम अपनी कामना पूर्ति के लिए आपको बुलाएंगे।
- इस प्रकार श्रीगणेश प्रतिमा का विसर्जन करने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।


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