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Mahabharat Fact: कौन थी दुर्योधन की एकमात्र बहन, क्या था उसका नाम, किससे हुआ था विवाह?
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जानें दुर्योधन की बहन से जुड़ी ये खास बातें...
महाभारत (Mahabharat Fact) में हजारों पात्र हैं, लेकिन हम कम ही पात्रों के बारे में जानते हैं। महाभारत के कुछ पात्र ऐसे भी हैं, जिनके बारे में न तो अधिक लिखा गया और न ही अधिक पढ़ा गया। दुर्योधन की बहन भी महाभारत की एक ऐसी ही पात्र हैं, जिसके बारे में कम ही लोगों को पता हैं। ((Who was Duryodhana's sister) दुर्योधन की बहन का पति महापराक्रमी योद्धा था, जिसे एक बार पांडवों ने बंदी बना लिया था। युद्ध में उसकी मृत्यु अर्जुन के हाथों हुई थी। आगे जानें दुर्योधन की बहन से जुड़ी रोचक बातें…
ऐसे हुआ था दुर्योधन की बहन का जन्म ((Who was Duryodhana's sister)
महाभारत के अनुसार, एक बार महर्षि वेदव्यास के आशीर्वाद से गांधारी को गर्भ ठहरा, लेकिन काफी समय निकल जाने के बाद भी कोई संतान नहीं हुई। इसके बाद गांधारी के गर्भ से एक लोहे जैसे मांसपिंड निकला। तब महर्षि वेदव्यास ने उस मांस पिंड पर जल झिड़का तो वह 101 भागों में बंट गया। महर्षि के कहने गांधारी ने उन सभी को अलग-अलग घी से भरे मटकों में डाल दिया। उस मटकों से गांधारी के 100 पुत्र और 1 पुत्री का जन्म हुआ।
ये था दुर्योधन की बहन का नाम (What was the name of Duryodhana's sister)
महाभारत में व अन्य ग्रंथों में दुर्योधन की बहन का अधिक वर्णन तो नहीं मिलता सिर्फ नाम ही बताया गया है। उसके अनुसार, दुर्योधन की बहन का नाम दु:शला था, जो सबसे छोटी थी। पांडव भी दु:शला को अपनी बहन की तरह ही प्रेम करते थे। इसी कारण एक बार युधिष्ठिर ने उसके पति को प्राण दंड देकर जीवित छोड़ दिया था।
किसके साथ हुआ था दु:शला का विवाह? (To whom was Dushala married?)
दु:शला का विवाह सिंधु देश के राजा जयद्रथ से हुआ था। जयद्रथ पहुत ही पराक्रमी योद्धा था। एक बार उसने द्रौपदी को वन में अकेली पाकर उसका हरण करना चाहा। क्रोधित होकर पांडवों ने उसका वध तो नहीं किया लेकिन उसका सिर मूंडकर उस पर पांच चोटियां छोड़ दी। बाद में अर्जुन के हाथों उसका वध हुआ।
जब अर्जुन ने दिया दु:शला के पौत्र को जीवनदान
कुरुक्षेत्र का युद्ध जीतने के बाद युधिष्ठिर ने अश्वमेध यज्ञ किया, उस अश्व का रक्षक अर्जुन को बनाया गया। ये अश्व घूमते-घूमते जब सिंधु देश आ गया। वहां पहुंचकर अर्जुन ने युद्ध के लिए ललकारा तो दु:शला अपने छोटे से पोते को लेकर युद्ध भूमि में आ गई। अपनी बहन को देखकर अर्जुन को ह्रदय द्रवित हो गया क्योंकि अर्जुन ने सदा दुर्योधन की बहन को अपनी बहन माना था। अर्जुन ने अपनी बहन के परिवार को जीवन दान दिया और आगे बढ़ गए।
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