सार
Mahakal Sawari Live Ujjain: मध्य प्रदेश के उज्जैन में श्रावण मास के हर सोमवार को भगवान महाकाल की सवारी निकाली जाती है। इस बार सावन मास की दूसरी सवारी 17 जुलाई को निकाली गई। बरसते पानी में भी भक्तों का उत्साह कम नहीं हुआ।
उज्जैन. मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Temple) 12 ज्योतिर्लिगों में से एक है। इस मंदिर की कई परंपराएं इसे विशेष बनाती है। ऐसी ही एक परंपरा है भगवान महाकाल की सवारी की। (Mahakal Sawari Live Ujjain) इस परंपरा के अंतर्गत सावन (Sawan 2023) मास के प्रत्येक सोमवार को भगवान महाकाल की प्रतिमा को पालकी में बैठाकर शहर के प्रमुख मार्गों से निकाला जाता है। इस दौरान लाखों भक्त अपने भगवान की एक झलक पाने के लिए घंटों खड़े रहते हैं। इस बार सावन मास की दूसरी सवारी 17 जुलाई को निकाली गई।
बरसते पानी में बाबा के दर्शन को खड़े रहे भक्त
भगवान महाकाल की पालकी मंदिर परिसर से बाहर निकलने से पहले कोटितीर्थ कुंड के पास स्थित सभामंडप में पूजा की गई। इसके बाद तय समय पर यानी शाम 4 बजे भगवान महाकाल की पालकी बाहर निकली। यहां सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा भगवान को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। निर्धारित मार्गों से होते हुए भगवान की पालकी रामघाट पहुंची। यहां से विभिन्न मार्गों से होती हुई भगवान महाकाल की सवारी रात 8 बजे मंदिर परिसर में प्रवेश करेगी। खास बात ये रही कि इस दौरान झमाझम बारिश होती रही, लेकिन भक्त बाबा की एक झलक पाने के लिए खड़े रहे।
कैसे शुरू हुई सवारी निकालने की परंपरा?
भगवान महाकाल की सवारी निकालने की परंपरा ज्यादा अधिक पुरानी नहीं है। ये पंरपरा रियासतकाल के दौरान शुरू हुई। प्राप्त जानकारी के अनुसार, जब उज्जैन पर ग्वालियर के सिंधिया वंश का राज था, तब उन्होंने भगवान महाकाल की महिमा जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से सवारी निकालने की परंपरा शुरू की जो आज बेहद बड़ा स्वरूप ले चुकी है।
सावन का अधिक मास होने से निकलेगी 10 सवारी
इस बार सावन का अधिक मास होने से भगवान महाकाल की सवारी की संख्या में वृद्धि होगी। सावन की 8 और भादौ की 2 सहित इस बार भगवान महाकाल की कुल 10 सवारी निकलेगी। आगे जानिए महाकाल सवारी की तारीखें…
तीसरी सवारी- 24 जुलाई को
चौथी सवारी- 31 जुलाई को
पांचवी सवारी- 7 अगस्त को
छठी सवारी- 14 अगस्त को
सातवीं सवारी- 21 अगस्त को
आठवीं सवारी- 28 अगस्त को
नौवीं सवारी- 4 सितंबर को
अंतिम शाही सवारी- 11 सितंबर को