वर्ष 2026 में कुल 59 शुभ विवाह मुहूर्त उपलब्ध होंगे। जनवरी में खरमास और शुक्र अस्त होने के कारण विवाह पूर्णतः वर्जित रहेंगे, जबकि पहला शुभ मुहूर्त 5 फरवरी से शुरू होगा। होलाष्टक, खरमास, अधिक मास और चातुर्मास के दौरान विवाह पूर्णतः वर्जित होते हैं।
Marriage Dates 2026: साल 2026 शुभ कार्यों के लिए मिला-जुला रहेगा। वर्ष की शुरुआत, जनवरी, विवाह के लिए प्रतिकूल रहेगी, क्योंकि खरमास और शुक्र अस्त एक साथ होंगे। परिणामस्वरूप, पूरे जनवरी में एक भी शुभ विवाह तिथि उपलब्ध नहीं होगी। फरवरी में शुभ मुहूर्त फिर से शुरू होंगे, जिससे विवाह के शुभ मुहूर्त खुलेंगे। पंचांग के अनुसार, पूरे 2026 में कुल 59 विवाह तिथियां उपलब्ध होंगी। हालाँकि, बीच में कुछ ऐसे समय भी होंगे जब खरमास, अधिक मास, होलाष्टक और चातुर्मास के कारण विवाह पूरी तरह से वर्जित रहेंगे।
2026 के लिए शुभ विवाह तिथियां कब से शुरू होंगी?
जनवरी 2026: पूरा महीना विवाह के लिए वर्जित है।
पहला शुभ मुहूर्त - 5 फ़रवरी, 2026
अंतिम शुभ मुहूर्त - 6 दिसंबर, 2026
कुल शुभ विवाह तिथियां - 59
2026 में सभी शुभ विवाह तिथियां (माहवार सूची)
फ़रवरी 2026
5, 6, 8, 10, 12, 14, 19, 20, 21, 24, 25, 26
मार्च 2026
1, 3, 4, 7, 8, 9, 11, 12
अप्रैल 2026
15, 20, 21, 25, 26, 27, 28, 29
मई 2026
1, 3, 5, 6, 7, 8, 13, 14
जून 2026
21, 22, 23, 24, 25, 26, 27, 29
जुलाई 2026
1, 6, 7, 11
नवंबर 2026
21, 24, 25, 26
दिसंबर 2026
2, 3, 4, 5, 6, 11, 12
जनवरी 2026 में विवाह क्यों वर्जित रहेंगे?
जनवरी में विवाह न करने के दो मुख्य कारण हैं: खरमास (15 जनवरी तक) और शुक्र अस्त (1 फरवरी तक)। खरमास और शुक्र अस्त, दोनों के दौरान विवाह, गृह प्रवेश और जनेऊ संस्कार जैसे सभी शुभ कार्य पूरी तरह से स्थगित कर दिए जाते हैं। हालांकि, 23 जनवरी 2026 को बसंत पंचमी पर बिना किसी शुभ मुहूर्त के भी विवाह संपन्न किए जा सकते हैं, क्योंकि इस तिथि को शुभ मुहूर्त माना जाता है।
2026 में विवाह और शुभ कार्य कब पूर्णतः वर्जित रहेंगे?
खरमास और शुक्र अस्त होने के कारण पूरा महीना वर्जित है
होलाष्टक (फरवरी के अंत से 4 मार्च, 2026)
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इन 8 दिनों में कोई भी शुभ कार्य वर्जित है
दूसरा खरमास (14 मार्च - 13 अप्रैल, 2026)
सूर्य के मीन राशि में प्रवेश करते ही खरमास पुनः प्रारंभ हो जाता है।
अधिक मास (2 मई - 29 जून, 2026)
लगभग 59 दिनों के लिए सभी शुभ कार्य वर्जित हैं।
चातुर्मास (25 जुलाई - 20 नवंबर, 2026)
देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक विवाह वर्जित हैं।
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विवाह में बृहस्पति और शुक्र इतने महत्वपूर्ण क्यों हैं?
विवाह का शुभ मुहूर्त निर्धारित करते समय, बृहस्पति और शुक्र दोनों का उदय होना आवश्यक है। यदि कोई एक ग्रह अस्त हो या दोनों ग्रह अस्त हों तो विवाह नहीं किया जाता। यही कारण है कि विवाह मुहूर्त निर्धारित करने में इन ग्रहों की स्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण होती है।
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