सार
क्या शरीर पर मौजूद तिल का संबंध पिछले जन्म से होता है? पुनर्जन्म के बारे में गांधीजी का क्या अनुभव था? जानिए डॉ. रामचंद्र गुरुजी ने क्या बताया.
साल 1936 की बात है। गांधीजी की गोद में एक छह साल की बच्ची बैठी थी। उसका नाम शांतिदेवी था। उसने कहा, "मेरी शादी हो चुकी है। मेरा एक बेटा है। मेरे पति भी हैं। उनका नाम यह है। मेरा नाम लुगुडीदेवी है।" गांधीजी को यह सुनकर झटका लगा। बच्ची इतना सब कुछ कैसे बता रही है, यह सोचकर वे 15 लोगों को लेकर उस जगह गए जहाँ बच्ची ने बताया था। वहाँ जाकर गांधीजी को आश्चर्य हुआ। बाद में सत्यशोधन समिति बनाई गई और जाँच करने पर पता चला कि बच्ची जो भी कह रही है, वह सच है। यह उसका पुनर्जन्म था। गांधीजी ने खुद इसे अपनी किताब 'आई हैव लिव्ड बिफोर' में लिखा है। यह भारत में दर्ज पुनर्जन्म की पहली कहानी है...
शरीर पर तिल के रहस्य को उजागर करते हुए गांधीजी की यह बात डॉ. रामचंद्र गुरुजी ने बताई। राजेश गौड़ा के यूट्यूब चैनल पर बातचीत के दौरान उन्होंने इस विषय पर चर्चा की। शरीर पर बनने वाले तिल, कई अनसुलझे रोग, स्कैनिंग और ब्लड टेस्ट में भी न पकड़ में आने वाली कुछ समस्याओं का संबंध पुनर्जन्म और पिछले जन्म से कैसे है, इस बारे में गुरुजी ने बताया।
पहले ही अभिनेता पुनीत राजकुमार, वीरप्पन समेत कई लोगों की आत्मा से बात कर चुके गुरुजी ने दावा किया है कि उन्होंने भगवान और शैतान के बीच लाइव संपर्क साधा है। अब कई लोग कहते हैं कि पुनर्जन्म एक भ्रम है। लेकिन गुरुजी का कहना है कि विरोध करने वालों को जवाब देने की जरूरत नहीं है। उन्होंने गांधीजी का उदाहरण देते हुए विदेशों में मनोरोग विशेषज्ञों द्वारा पुनर्जन्म पर किए गए अध्ययन के बारे में बताया। अमेरिका के एक मनोविज्ञान प्रोफेसर ने 40 साल शोध करके पुनर्जन्म पर कई किताबें लिखी हैं। उनके शिष्य जीन टकर और वर्तमान में बेंगलुरु के निमहांस में मनोविज्ञान प्रोफेसर के रूप में कार्यरत उनकी शिष्या ने पुनर्जन्म पर चार किताबें लिखी हैं। गुरुजी ने बताया कि उन्होंने गांधीजी की किताब का कन्नड़ में 'नानु ई हिंदेयू बदुकुद्दे' नाम से अनुवाद किया है। इन्हें देखने से पुनर्जन्म के बारे में पता चलता है।
साथ ही, रामचंद्र गुरुजी के अनुसार, शरीर पर बड़े-बड़े तिल पिछले जन्म में उस हिस्से पर लगे गहरे घाव के कारण होते हैं। शरीर के उस हिस्से में बहुत दर्द होता है। उस हिस्से पर एक पैच बन जाता है, जो तिल का रूप ले लेता है। कुछ मामलों में, लोगों को डॉक्टरों द्वारा भी अनसुलझी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। शरीर में दर्द, सिरदर्द से लेकर कई लाइलाज बीमारियों का कारण पता नहीं चलता। स्कैनिंग, ब्लड टेस्ट सब ठीक होने के बावजूद समस्या हल नहीं होती। इसका कारण भी पिछला जन्म ही है। गुरुजी के अनुसार, इसका पता लगाकर इलाज करना होगा।