सार
muharram 2023 start date in india: इस्लाम में हिजरी कैलेंडर की मान्यता है। इस महीने का पहला महीना मुहर्रम है, जो इस बार 20 जुलाई, गुरुवार से शुरू हो रहा है। इस महीने के पहले 10 दिनों में हजरत हुसैन की शहादत को याद किया जाता है।
उज्जैन. हिजरी कैलेंडर के पहला महीना मुहर्रम आज यानी 20 जुलाई, गुरुवार से शुरू हो रहा है। इस महीने के पहले 10 दिन बहुत खास माना जाते हैं। इन 10 दिनों में मुस्लिम संप्रदाय के लोग रोज हजरत हुसैन की शहादत को याद करके गम मनाते हैं। मुहर्रम महीने की दसवीं तारीख को हज़रत हुसैन की याद में जुलूस निकाला जाता है, जिसे ताजिए कहते हैं। इस बार ताजिए 29 जुलाई को निकाले जाएंगे। आगे जानिए मुहर्रम से जुड़ी खास बातें…
इसलिए खास है मुहर्रम का महीना
हिजरी कैलेंडर का पहला महीना मुहर्रम है यानी इसी दिन से मुस्लिमों का नया साल शुरू होता है। मुस्लिम देशों में इसी कैलेंडर को माना जाता है। ये इस्लाम के 4 सबसे पवित्र महीनों में से एक है। इस्लाम में मुहर्रम का अर्थ होता है हराम यानी निषिद्ध। इस महीने में कई काम करने पर पाबंदी होती है जैसे नई खरीदी नहीं की जाती। कोई उत्सव नहीं मनाया जाता आदि। इस पूरे महीने को अल्लाह का महीना कहा जाता है। इस महीने में कुरान की तिलावत करने की परंपरा है।
मुहर्रम को क्यों कहते हैं गम की महीना?
इस्लामी मान्यताओं के अनुसार, करीब 1400 साल पहले कर्बला के मैदान में हजरत हुसैन और बादशाह यजीद के बीच एक जंग लड़ी गई थी, जिसमें हजरत हुसैन अपने परिवार के साथ मारे गए थे। उन्होंने इस्लाम को बचाने के लिए तानाशाह यजीद की बातें मानने से इंकार कर दिया था। जिस दिन इमाम हुसैन की मौत हुई, उस दिन मुहर्रम महीने की 10वीं तारीख थी। इसलिए हर साल इस दिन इनकी शहादत को याद किया जाता है।
क्या होता है मुहर्रम की 10वीं तारीख को?
मुहर्रम की 10वीं तारीख को मुस्लिम संप्रदाय के लोग मातम मनाकर इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हैं। इस दिन ताजिए निकाले जाते हैं जो जुलूस के रूप में होते हैं। युवा करतब दिखाते हुए आगे चलते हैं। महिलाएं काले लिबास पहनती हैं और छाती पीटकर शोक जताती हैं। वहीं पुरुष पीट-पीटकर या हथिरायों से खुद को घायल कर लेते हैं।
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