सार

Jagannath Mandir Facts: आज 14 जुलाई, रविवार को ओडिशा के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर का रहस्यमयी खजाना खोला जाएगा। खास बात ये है कि इसके पहले ये खजाना 1978 में खोलो गया था।

 

Jagannath Mandir Unik Facts: ओडिशा के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ का मंदिर अपने अंदर कईं रहस्य समेटे हुए है। ऐसा ही रहस्यमयी है यहां का खजाना जिसे रत्न भंडार भी कहा जाता है। इस रत्न भंडार के 2 भाग हैं। पहले भाग समय-समय पर खुलता रहता है लेकिन दूसरा भाग खोले को कईं दशक बीत चुके हैं। खजाने के इस दूसरे भाग को रहस्यमयी माना जाता है। 14 जुलाई 2024 को ये रहस्ययमी रत्न भंडार यानी खजाना खोला जाएगा।

आखिरी बार कब खुला था ये खजाना?
जानकारी के अनुसार, जगन्नाथ मंदिर के खजाने के 2 हिस्से हैं, पहला है बाहरी रत्न भंडार, जिसमें भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के आभूषण रखे हुए हैं। ये खजाना विशेष मौकों जैसे रथयात्रा आदि उत्सवों के दौरान खोला जाता है, जबकि खजाने का दूसरा भाग जिसे भीतरी रत्न भंडार कहते हैं आखिरी बार 46 साल पहले यानी 1978 में खोला गया था।

बाहरी रत्न भंडार में कितना सोना-चांदी?
1978 की एक रिपोर्ट के अनुसार बाहरी रत्न भंडार में 150 किलो सोना और 258 किलो चांदी के आभूषणों के साथ-साथ कईं बहुमूल्य रत्न भी रखे हुए हैं। जिनका उपयोग भगवान जगन्नाथ के श्रृंगार में किया जाता है। जगन्नाथ मंदिर का भीतरी रत्न भंडार 1905, 1926 और 1978 में खोला गया था। उस समय इसमें मौजूद बेशकीमती चीजें जैसे सोना-चांदी की लिस्ट भी बनाई गई थी।

कमेटी की देख-रेख में होगा पूरा काम
राज्य के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन के अनुसार, 14 जुलाई, रविवार को दोपहर में पारदर्शिता के साथ जगन्नाथ मंदिर का भीतरी रत्न भंडार खोला जाएगा। इसके लिए एक कमेटी बनाई गई है। इस कमेटी में मंदिर समिटि के सदस्यों के साथ रिजर्व बैंक और आर्कियोलॉलिकल सर्वे ऑफ इंडिया (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) के प्रतिनिधि भी मौजूद रहेंगे।

सांप पकड़ने वाले भी बुलाए गए
खास बात ये है कि जब भीतरी रत्न भंडार खोल जाएगा तो इस समय सांप पकड़ने वाले भी वहां मौजूद रहेंगे। मंदिर समिति के लोगों को कहना है कि भीतरी रत्न भंडार से अक्सर फुफकारने की आवाजें आती रहती हैं। ऐसा भी कहते हैं कि सांपों का एक समूह भंडार में रखे रत्नों की रक्षा करता है। इसीलिए रत्न भंडार खोलते समय सांप पकड़ने वाले लोग भी वहां रहेंगे ताकि कोई अप्रिय घटना न हो।


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