फिटकरी का उपयोग अनेक कामों में किया जाता है। ये लगभग हर घर में पाई जाने वाली वस्तु है। मान्यता है कि इसे निगेटिव एनर्जी को सोखने की क्षमता होती है, इसलिए अनेक ज्योतिष और वास्तु उपायों में इसका उपयोग किया जाता है।
हिंदू पंचांग का दूसरा महीना वैशाख 28 अप्रैल से शुरू हो चुका है, जो 26 मई तक रहेगा। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस महीने में भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है।
उज्जैन. ग्रह-स्थितियां देखकर किसी भी राशि से जुड़ी खास बातें पता लगाई जा सकती हैं। ये भी जाना जा सकता है कि किस राशि के लिए कौन-सा दिन शुभ रहेगा और किस दिन उसे संभलकर काम करना चाहिए यानी उस दिन उसका कुछ नुकसान हो सकता है। आज हम आपको बता रहे हैं मई 2021 में किस राशि के लिए कौन-सा दिन शुभ है और किस दिन उन्हें सावधानी रखनी चाहिए…
इस समय देश में कोरोना के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। जिस भी परिवार में कोरोना का पेशेंट होता है, उस घर का माहौल नकारात्मक होने लगता है। इसी वजह से उस घर में रहने वाले लोगों पर निगेटिव असर होने लगता है।
किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में शनि खराब हो तो उसे बहुत बुरे परिणाम भुगतने पड़ते हैं। शनि खराब होने पर व्यक्ति अपने घर से बेघर हो सकता है, उसकी बनी-बनाई संपत्ति बिक जाती है, उस पर किसी तरह का मुकदमा हो जाता है, वह हमेशा विवादों में घिरा रहता है।
उज्जैन. हमारे दैनिक जीवन में जाने-अनजाने में हम बहुत से ऐसे काम करते हैं, जिसके कारण हमें ग्रह दोषों का सामना करना पड़ता है। अगर हम अपनी जीवन शैली में कुछ छोटे-छोटे परिवर्तन कर लें या कुछ बातों का ध्यान रख लें इससे होने वाली परेशानियों से बच सकते हैं। आज हम आपको ऐसी ही बातों के बारे में बता रहे हैं, जो इस प्रकार है…
उज्जैन. हिंदू कैलेंडर का दूसरा महीना वैशाख 28 अप्रैल, बुधवार से शुरू हो चुका है, जो 26 मई तक रहेगा। स्कंद पुराण में वैशाख मास को सभी महीनों में उत्तम बताया गया है। पुराणों में कहा गया है कि जो व्यक्ति इस महीने में सूर्योदय से पहले स्नान करता है और व्रत रखता है। वो कभी दरिद्र नहीं होता। उस पर भगवान की कृपा बनी रहती है और उसे सभी दुखों से मुक्ति मिलती है। क्योंकि इस महीने के देवता भगवान विष्णु ही है। वैशाख महीने में जल दान का विशेष महत्व है। जानिए शुभ फल पाने के लिए इस महीने में क्या करना चाहिए और क्या नहीं…
वर्तमान में पूरी दुनिया में कोरोना कहर बनकर टूट रहा है। भारत में इसके कारण कई लोग असमय ही काल के गाल में समा चुका हैं। लॉकडाउन व अन्य पाबंदियों के कारण लोग समय पर अपने दिवंगत परिजनों की आत्मा की शांति के लिए उचित पूजा-पाठ भी नहीं करवा पा रहे हैं। तीर्थ स्थानों पर भी पूजा-पाठ करवाने वाले पंडितों के न होने से समस्या बनी हुई है।
चाणक्य नीति के तेरहवें अध्याय के पंद्रहवें श्लोक में इंसान की एक ऐसी आदत के बारे में बताया है जिसकी वजह से बनते काम बिगड़ जाते हैं।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर की दीवारों, पर्दों, सोफे आदि के रंगों के चुनाव की तरह फर्श के रंग का चुनाव भी सावधानीपूर्वक और वास्तु नियमों के आधार पर करना चाहिए।