देवताओं के गुरु बृहस्पति माने गए हैं, वैसे ही दैत्यों का गुरु शुक्राचार्य को माना जाता है। शुक्राचार्य महान ज्ञानी के साथ-साथ एक अच्छे नीतिकार भी थे। उन्होंने कई शास्त्रों की रचना भी की। शुक्राचार्य की कही गई नीतियां आज भी बहुत महत्व रखती हैं।
हिंदू धर्म में बहुत-सी मान्यताएं और परंपराएं हैं। ऐसी ही एक परंपरा है कि चातुर्मास (देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक का समय) के दौरान हरी सब्जियां, मूली, बैंगन आदि नहीं खानी चाहिए। इससे स्वास्थ्य से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को बैकुंठ चतुर्दशी कहते हैं। इस दिन बैकुंठाधिपति भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। इस बार यह पर्व 11 नवंबर, सोमवार को है।
सुख और दुख, जीवन की दो अवस्थाएं हैं। हर व्यक्ति के जीवन में सुख और दुख का आना-जाना लगा रहता है।
बेसमेंट (तलघर या तहखाना) सभी घरों में नहीं बनवाया जाता। कुछ लोग ही इसे बनवाते हैं। यह सिर्फ जरुरत के हिसाब से ही बनवाया जाता है।
आमतौर पर सपने सभी को आते हैं। वो चाहे बच्चा हो या वृद्ध। सपने आना एक स्वभाविक प्रक्रिया है, लेकिन हमारे समाज में सपनों को लेकर कई मान्यताएं प्रचलित हैं। ऐसा माना जाता है कि सपने हमें भविष्य में होने वाली घटनाओं के बारे में सूचित करते हैं।
इस बार 9 नवंबर, शनिवार को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है। इस दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत किया जाता है। ये व्रत विभिन्न वारों के साथ मिलकर शुभ योग बनाता है।
इस बार देवउठनी एकादशी 8 नवंबर, शुक्रवार को है। आमतौर पर देवउठनी एकादशी के ही दिन से विवाह आदि मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा। ग्रह के योग के कारण शुभ कार्यों के लिए लोगों को 10 दिन इंतजार करना होगा।
गुरु द्रोणाचार्य महाभारत के एक प्रमुख पात्र थे। कौरवों व पांडवों को अस्त्र-शस्त्र चलाने की शिक्षा गुरु द्रोणाचार्य ने ही दी थी। महाभारत के आदि पर्व के अनुसार, गुरु द्रोणाचार्य देवताओं के गुरु बृहस्पति के अंशावतार और महर्षि भरद्वाज के पुत्र थे।
हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने में दो बार त्रयोदशी तिथि आती है। इस तिथि पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए व्रत किया जाता है। इस बार 9 नवंबर, शनिवार को शनि प्रदोष का योग बन रहा है।