हिंदू पंचांग का छठा माह भाद्रपद इस बार 16 अगस्त, शुक्रवार से शुरू होगा। धर्म ग्रंथों में इस मास में कुछ नियमों का पालन करना अनिवार्य बताया गया है।
शिवपुराण के अनुसार शिव पूजा में शमी के पत्तों का विशेष महत्व है। ये पेड़ पूजनीय और पवित्र है।
त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने वानर जाति में हनुमान के रूप में अवतार लिया था।
सावन के अंतिम दिन किए गए उपाय, पूजा आदि से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा नहीं है, इसलिए पूरा दिन राधी बांधने के लिए शुभ रहेगा। श्रवण नक्षत्र में दिन की शुरुआत होगी, जो 8.30 तक रहेगा। इसके बाद धनिष्ठा नक्षत्र प्रारंभ हो जाएगा।
भगवान शिव व विष्णु एक-दूसरे के पूरक हैं। धर्म ग्रंथों में जहां भगवान विष्णु को सृष्टि का पालक बताया गया है, वहीं भगवान शिव को संहारक कहा गया है,लेकिन लिंग पुराण के एक प्रसंग में इन दोनों देवों के अवतारों के युद्ध का वर्णन भी मिलता है।
राखी सिल्क या सूत के कई तारों को पिरोकर तैयार की जाती है। भावनात्मक एकता का प्रतीक होने के कारण इसे पवित्र माना जाता है।
महाभारत के मुख्य पात्रों में से एक थे महात्मा विदुर जिन्हें यमराज का अवतार भी माना जाता है। महात्मा विदुर ने देश, काल और परिस्थिति के अनुसार, लाइफ मैनेजमेंट के कई सूत्र बताए हैं।
13 अगस्त को सावन का अंतिम मंगलवार, इस दिन हनुमान चालीसा की चौपाइयों के जाप से कई समस्याओं का समाधान मिल सकता है।
पाकिस्तान का कटसराज शिव मंदिर वहां मौजूद कई हिंदू मंदिरों में से 1 हैं। इससे जुड़ी कई मान्यताएं इसे हिंदुओं की आस्था का मुख्य केंद्र बनाती है।